आम की मिठास विदेश तक
आम की मिठास और इसकी खुश्बू लोगों केा अपनी ओर बरबस खींच लेती है। अपने देश में जहां आम का डिमांड बड़े पैमाने पर है। वहीं नालंदा के आम की मिठास अब विदेशों तक जा पहुंची है। पेश है इस पर एक रिपोर्ट--
पेड़ों पर लदे इस आम को देखिए कितना प्यारा लग रहा है। जी करता है इसे तोड़कर खा लूं। ये है नालंदा का गिलानी गांव जहां इस साल इसके खरीदारों का तांता लगा हुआ है। निशांत बाग के नाम से मशहूर यह बाग बिहार-बरबीघा मार्ग से बसे गिलानी गांव में है। यहां के आम में ऐसी मिठास है कि अब इसे मारीशस, अरब, लंदन के अलावे ंिसंगापुर जगहों पर भेजे जाने लगे हैं।
यह बाग लगभग 70 साल पुराना है। इस बाग में मालदा, मिटठु ,जरदालू, रानी लड्डू, हेमसागर, अलफासो प्रजातियों के आम लगे हुए हैं। इस आम के दीवाने लोग माॅरिशस, अरब, लंदन, सिंगापुर देशों में हैं। वहां रहने वाले लोगों के परिजन यहां से आम खरीदकर विदेश भेजते हैं। इस बाग के दशहरी प्रजाति के आम के क्या कहने। वह तो पके होने के 15 दिनों से ज्यादा दिनों तक रखने के बाद भी सड़ता नहीं है। जिसके चलते इस आम को हीं अब ज्यादा भेजा जाने लगा है।
बिहार की मिट्टी में पैदा हुई इस आम के प्रजाति का विदेशों तक धूम है। जरूरत है तो यहां के किसानों को सरकारी सहायता और इसे बढ़ावे की जिससे यह एक बड़ा व्यवसाय बन सके।
इतने दूर भी अब दशहरी आम मिलेंगे सुन कर मुंह में पानी भर आया .
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