सीटें खाली रह जाती है
बिहारी युवक इंजीनियरिंग की परीक्षाओं में टाॅप करते हैं और बाहर प्रताड़ित भी हो रहंे हैं, लेकिन बिहार में इंजीनियरिंग काॅलेजों की सीटें हर साल खाली रह जाती हैं। पिछले कई सालों से यहां का यही हाल है।
राज्य के कुल 11 इंजीनिरिंग काॅलेजों में 6 सरकारी और 5 गैर सरकारी हैं। इसमें कुल 1270 सीटे हैं। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से कम्बाइंड इंटरेन्स एक्जाम का आयोजन किया जाता है। इसका परिणाम अधिकांश सरकारी अभियंत्रण काॅलेजों में से 15 प्रतिशत सीटों को खाली छोड़ना संभव नहीं था।
राज्य मंे उच्चतर शिक्षा और खास इंजीनियरिंग के क्षेत्र की पिछले 20 वर्षों में भारी उपेक्षा हुई है। नीतीश सरकार में इनके इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाए गए हैं। जो अगले साल तक कुछ परिणाम नजर आएंगे।
कम्बाइंड बोर्ड पर जवाबदेही अधिक है और यही कारण है कि इंजीनियरिंग काॅलेजों में सीटें खाली रह जा रही हैं। इसके स्वरूप में बदलाव लाया जा रहा है।
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