बिहार में सुखाड़ के आसार
भीषण गर्मी में पानी की बूंद-बूंद को तरसते लोगों की। कहने को तो इस समस्या के समाधान के लिए हर साल योजनाएं बनती है, करोड़ों खर्च होते हैं। लेकिन जब धरती तपती है और जल स्त्रोत सूखने लगते हैं तो पता चलता है कि सारी योजनाएं धरी रह गइ्र्र हैं। न जाने कहां खर्च हो जाते हैं इतने पैसे। विष्वास नहीं तो देखिए सोन प्रोजेक्ट का हाल।
सरकारी उपेक्षा का शिकार सोन नदी आज अपनी बदहाली पर जार-जार रो रहा है। भोजपुर जिले की सोन नदी में पानी नहीं रहने से पूरा इलाका सूखे की चपेट में आ गया है। ऐसे में सोन प्रोजेक्ट के माध्यम से लाखों रूपए खर्च करने वाली सरकार की चुप्पी रहस्यमय बनी हुई है। नदी में पानी नहीं होने के चलते किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है। और हजारों खेतीहर मजदूर दो जून की रोटी के लिए तरस गये हैं।
सरकार के इस अनदेखी से किसान अब भगवान पर भरोसा करना ही ज्यादा बेहतर समझते हैं। पानी नहीं होने से खेतों से धरती का सीना चाक हो गया है। जमीन फट गयी है। अगर भगवान की मेहरबानी नहीं हुई, तो इस इलाकों को अकाल का सामना करना पड़ेगा।
हम आपको बतादें कि इस क्षेत्र को धान का कटोरा के नाम से जाना जाता है। सोन नदी का अस्तित्व खतरे में है और इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। अब बेचारे किसान सरकार का मुंह देखें या फिर भगवान का, ये तय नहीं कर पा रहे।
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