मौत का इंतजार ......
सरकारी दावों के बाद भी सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था के नाम पर कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है।
राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल पी एम सी एच । सुशासन के सरकारी दावे को सुन कर लोंगो को लगा कि चलों व्यवस्था में सुधार हुआ है , हम भी यहां आकर भला- चंगा हो सकते हैं। हमें भी मिल सकती है नई जिन्दगी लेकिन यहां आने के बाद उन्हें नहीं दिखती कोई सुशासन और अंत में भगवान को प्यारे हो जाते हैं उनके मरीज।
आए दिन सरकार दावा करती रहती है कि यहां मरीज को दवा , दुध , केला और ब्रेड का नाश्ता मुफ्त दिया जाता है। भले ही कुछ लोंगो को इसका लाभ भी मिला हो लेकिन ज्यादा लोग इससे वंचित ही रह जाते हैं । लुट-खसोट की पुरानी प्रवृति में आज भी कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हो पाया है। मृत शरीर के लिए यहां गेट पर बांस-बल्ली और कफन तक मंहगे बेचे जाते हैं।
स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर सरकारी बयानबाजी और भले जो भी बताते हो लेकिन जमीनी सच्चाई इससे अलग है। भगवान भरोसे मरीज और बेहाल परिजन को शायद अब कोई फरिश्ता ही बचा पाये।
सरकारी दावों के बाद भी सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था के नाम पर कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है।
राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल पी एम सी एच । सुशासन के सरकारी दावे को सुन कर लोंगो को लगा कि चलों व्यवस्था में सुधार हुआ है , हम भी यहां आकर भला- चंगा हो सकते हैं। हमें भी मिल सकती है नई जिन्दगी लेकिन यहां आने के बाद उन्हें नहीं दिखती कोई सुशासन और अंत में भगवान को प्यारे हो जाते हैं उनके मरीज।
आए दिन सरकार दावा करती रहती है कि यहां मरीज को दवा , दुध , केला और ब्रेड का नाश्ता मुफ्त दिया जाता है। भले ही कुछ लोंगो को इसका लाभ भी मिला हो लेकिन ज्यादा लोग इससे वंचित ही रह जाते हैं । लुट-खसोट की पुरानी प्रवृति में आज भी कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हो पाया है। मृत शरीर के लिए यहां गेट पर बांस-बल्ली और कफन तक मंहगे बेचे जाते हैं।
स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर सरकारी बयानबाजी और भले जो भी बताते हो लेकिन जमीनी सच्चाई इससे अलग है। भगवान भरोसे मरीज और बेहाल परिजन को शायद अब कोई फरिश्ता ही बचा पाये।
No comments:
Post a Comment