पढ़ाई के साथ कमाई करते बच्चे
पढ़ाई के साथ कमाई। इस बात को चरितार्थ कर रहे हैं नवादा के बच्चे। यहां के बच्चों के हालात ये हैं कि दो जून की रोटी के लिए ये अपनी
पढ़ाई को छोड़कर अपने घर वालों का हाथ बटाते है। लेकिन अब ये बच्चे अनपढ़ नहीं रहेंगे। इसको सफल बनाने में जुट गया है एक विद्याालय।
इन बच्चों को देखिए ये पढ़ने की उम्र में पेट पालने के लिए अपने घर वालों के साथ कामगार मजदूर बने हैं। पढ़ने जाने के समय ये बच्चे खेतों में काम कर रहे हैं। यह है नवादा जिले का रामगढ़ बलोखर गांव। मुसहर बहुल इस गांव के बच्चे शिक्षा से पूरी तरह वंचित है। इस गांव के सभी लोग कामगार मजदूर हैं।
शिक्षा क्रंाति का अलख चारो ओर जगा हुआ है। हर लोग अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। वहीं इस गांव के लोग मरता क्या नहीं करता के तर्ज पर अपने मासूमों को भी अपने साथ अशिक्षा की काल कोठरी में खींच रहे हैं। मगर अब ऐसा नहीं होगा! इनको भी अपने बच्चों को पढ़ाना होगा। इस काम में जुट गया है बालश्रमिक विद्यालय। बच्चे भी पढ़ाई से काफी खुश नजर आ रहे हैं।
वर्ष 2008 से हीं इस पढ़ाई से बच्चों में परिवर्तन आने लगा है। यह सिर्फ इसी गांव के साथ हीं नहीं हुआ है। बल्कि जिले में 40 बालश्रमिक विद्यालय खोले गये हैं। गांवों में चलने वाले ये विद्यालय कई परिवारों में शिक्षा की रौशनी दे रहे हैं। इन स्कूलों के संचालन का जिम्मा स्वयंसेवी संस्थाओं को दिया गया है। इस विद्यालय में पढ़ाई के साथ भोजन भी दिया जाता है। जिससे अभिभावको के रूझान इस तरफ और भी बढ़े हैं।
इसमें पढ़ने वाले बच्चे काम करने के साथ-साथ पढ़ भी लेते हैं। इस वजह से यह विद्यालय जहां लोकप्रिय हो रहा है। वहीं बच्चों के माता-पिता में भी अपने नौनिहालों के लिए जागृति आयी है।
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