10,000 किसानों ने इच्छा मृत्यु की मांगी
पलामू के किसान सुखाड़ से त्रस्त होकर अब सामूहिक रूप से देश के राष्ट्रपति इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे। अब तक 10,000 किसानों ने इच्छा मृत्यु की मांग का आवेदन राष्ट्रपति व संबंधित न्यायिक पदाधिकारियों भेजने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया है. किसान हस्ताक्षर अभियान के लिए गांव-गांव में पंचायत लगाकर इच्छा मृत्यु के लिए पत्र लिख रहें।
पलामू के किसान पिछले वर्षों से सुखा की मार झेलते आ रहे है, इस वर्ष किसानों के सामने खाने, पीने तथा मवेशियों के पानी के लिए विकट समस्या खड़ा हो गया। पलामू 2008 के मुकाबले इस मई माह में मात्र 8 मिलीमिटर वर्षा हुई, जबकि पिछले वर्ष माई और जून कर 130 मिलीमिटर वर्षा हुआ था। पलामू में लगभग 8 लाख एकड़ भूमि पर खेती होती है. इन में मात्र एक लाख 50 हजार एकड़ भूमि पर ही सिंचाई साधन उपलब्ध है. यहां की लगभग 90 प्रतिशत भूमि खेती के लिए बर्षा जल पर ही निर्भर है. वर्षा नहीं होने किसानों के अंदर मायुसी छा गयी है. पलामू जिला के छतरपुर प्रखंड के विभिन्न गांवों के किसानों के समक्ष वर्षा नहींे हो ने कारण भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी. किसान समस्याओं से तंग आकर अब देश के राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग करना शुरू कर दिया है. इसके लिए किसान बजाप्ते पंचायत वार पंचायत लगार कर इच्छा मृत्यु के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाना शुरू कर दिया. किसानों का कहना कि लगातार तीन वर्षाें से पलामू के सुखाड़ और किसी तरह अपने तथा परिवार व जनवरों को जीविका चला रहे है, वे कर्ज बोझ से भी दबे हुए, उनके पास एक मात्र उपाय बच गयो अत्माहत्या। किसानों राष्ट्रपति सुखाड़ नजात के उपाय करे, नहीं तो हम सभी किसानों को इच्छा मृत्यु की इजाजत दे। इच्छा मृत्यु अभियान में सामाजिक संगठन के लोग भी जुटे हुए हैं, लोगों का कहना कि सरकार उन्हें इजत से जीने के लिए अगर नहीं व्यवस्था करती है, तो उन्हें मरने के लिए भी इजाजत दे। लोगों को कहना कि अत्महत्या करना अपराध है, इसलिए लोग इच्छा मृत्यु के लिए राष्ट्रपति सहित देश के तामम लोगों को पत्र लिखा है. मरता क्या नहीं करता, पलामू के किसान पिछले कई वर्षा से सुखाड़ की मार से त्रस्त हो गये और अब वे जीना नहीं चाहते हैं.
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