Saturday, June 27, 2009


मिनरल वाटर


बात जब पानी की हो तो उससे जुड़ता है पूरा का पूरा जीवन। और जब बात मिनरल वाटर की हो तो फिर शुरू होती है स्वस्थ्य जीवन की कहानी। लेकिन आज ई का हो रहा है। जिसे हम मिनरल वाटर समझकर खरीदते हैं, दरअसल उ है तो डीªंकिंग वाटर।
पानी से भरा बिसलेरी का बोतल। जिसे आम जनता बड़े प्यार से मिनरल वाटर समझके खरीदती है। लेकिन रियल में तो है एक डिंªकिंग वाटर। जीे हां साधारण पानी को मिनरल वाटर बनाने में काफी खर्च होता है। क्योंके कि मिनरल वाटर में सोडियम, पोटैशियम, सल्फेट, नाइटेªट, मैग्नेशियम, कैल्सियम और भी कई तत्व जो होते हैं। जो मनुष्य को स्वस्थ्य रखता है।
पब्लिक तो बस पब्लिक होती है भईया। एक बार किसी ने कह दिया कि बोतल में भरी पानी नहीं बल्कि ये मिनरल वाटर है। फिर क्या, जनाब इसे खरीद जाए अपनी प्यास बुझाने के लिए। चाहें ई बोतल पर एडे काहें नहीं छपी हो, उसे पढ़ना तो मुनासिबे नहीं समझते हैं। अब इनको का मालूम कि मिनरल वाटर में आखिर कौन सा तत्व होता है। इन्हें तो बस अपनी प्यास बुझाने को पड़ी है। ई केतना फायदेमंद है इससे इनको का, ये तो डिंªकिंगे वाटर को मिनरल वाटर समझके गटगट पी रहे हैं।
अब भला आपहीं बताईये इसमें पब्लिक का क्या दोष है। उसको तो बस ऐतने मालूम है कि ये मिनरल वाटर है, इसे प्यास लगने पर पीया जाता है। लेकिन यहां तो मिनरल वाटर बड़ी मुश्किल से मिलता है। क्योंकि कि बिहार में मिनरल वाटर बनाने की कौनों व्यवस्थे नहीं है। और जब वैज्ञानिक रूप से प्रुभड मिनरल वाटर कहीं मिलता हीं नहीं हो तो कोई क्या करे?
मिनलर वाटर की बात तो दूर ड्रिंकिंग वाटरे मिल जाए तो बहुते है। अगर वैज्ञानिक तौर पर देखा जाए तो पीने के पानी की जरूरत में मिनरल वाटर की हिस्सेदार नगण्य है।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....