भाजपा का सीता प्रेम
राम के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा का अब राम से मोह भंग होता दिख रहा है। अब इन्हें राम की अयोध्या से ज्यादा सीता की नगरी भाने लगी है।
लोकसभा में मिली करारी हार से तिलमिलाई भाजपा अब अपनी जमीन तलाशने में जुटी है। उसे लगता है कि अब राम नाम उसकी डूबती नैया को पार लगाने में उतना कारगर नहीं रहा। अब राम के साथ सीता मैया का नाम लेने के बाद ही उसका उसका बेड़ा पार लगेगा।
भाजपा के महामंत्री प्रभात झा की मानें तो राम की अयोध्या तो विवादास्पद रही है, लेकिन सीता की जन्मस्थली पर त कौनों विवादे नहीं है। फिर भी इस स्थान का जितना विकास होना चाहिए उतना नहीं हो पाया है। नब्बे के दशक में भाजपा को अपना भविष्य राम में दिख रहा था। लेकिन अब वह अपना भविष्य सीता की नगरी में तलाश रहा है। ठीक है भइया राम नहीं तो सीता ही सही, प्रयोग करने में क्या जाता है।
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