Thursday, June 18, 2009

बीस सालों तक राज

अपनी बदौलत सूबे और केन्द्र की सत्ता में बीस सालों तक राज
करने वाले लालू की चमक अब फीकी पडने लगी
है। नौबत यहां तक है कि अब उनके पाॅलीटिकल
कैरियर को लेकर भी सवाल उठने लगे हैंऔर इन
सवालों के बीच भी एक अहम सवाल यह है कि क्या
सचमुच लालू बिहार की राजनीति के इतिहास बन चुके हैं।
गोल मटोल मासूम चेहरा ! आंखों पे चश्मा और गम्भीर
बातों को हल्के अंदाज में पेश करने की महारथ हासिल किये ये हैं
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ,पूर्व रेल मंत्री हमारे लालू प्रसाद यादव।
अपने चम्तकारिक शैली से बीस वर्षों तक सत्ता का स्वाद चखने वाले
लालू को क्या पता था एक हार उनके और उनकी पार्टी की दशा
और दिशा दोनों बदल कर रख देगी ।नौबत यहां तक आ जाएगी
कि उनके पालीटिकल कैरियर पर ही सवाल उठने लगेंगे।
लालू प्रसाद को लेकर उठते यह सवाल लोकसभा चुनाव में
उनकीे पार्टी की करारी हार के बाद उठने लगे हैं
यहां तक की लालू ने भी जैसे तैसे अपनी सीट पक्की की।हलांकि
राज्य की सत्ता हाथ से जाने के बाद यह उम्मीद की
जा रही थी केन्द्र में उनकी मौजूदगी बरकरार रहेगी।
लेकिन ऐसा हो न सका। कभी लालू के करीबी रहे रंजन यादव
तो इसे सहज ही मानते हैं।
लेकिन राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकत्र्ताओं में अब भी जोश
बरकरार है और अपने नेता में उतनी ही गहरी आस्था भी है।
पार्टी के प्रधान महासचिव की माने तो पार्टी अपने नेता
की बदौलत जल्द वापस आएगी।
ताजा बयानों पर गौर करें तो लालू और उनके कैरियर के
बीच अब मात्र 2010 नवंबर तक फासला बचा है।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....