गजल
दूर कितना भी जाओ, सीने से लगाए रखना
यादों की इस तस्वीर को, आंखों में बसाए रखना.
जाने किस मोड़ पर, जिंदगी में तूफां आ जाए
जो रहते थे हर पल साथ, जाने कब दूर हो जाए
फिर भी मेरी उम्मीदों के दीप जलाए रखना
दूर कितना.......................................................
अश्क आंखों में, बीते कल पर दर्द उफनते हैं
निगाहें देखती जब आसमां को, चांद बन मुस्कुराते हो
लाख छाए काली घटाऐं, हिम्मत बनाए रखना
दूर कितना.......................................................
वो कौन सी घड़ी हो, जो तन्हां छोड़ जाएगी
मुद्दत से बसाए सपनों को, कब चुर कर जाएगी
जिन्दगी के दिन चार, तु मुस्कुराकर काट लेना
दूर कितना.......................................................
----मुरली मनोहर श्रीवास्तव
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