सीआरपीएफ घोटाला उजागर
सीआरपीएफ में बड़े पैमाने पर घोटाला उजागर होने के बाद नक्सलियों से निपटने के लिए बनी कोबरा बटालियन की नियुक्ति रद्द कर दी गई है। पिछले दिनों इसका ख्ुालासा होने के बाद सीआरपीएफ के आला अफसरों ने प्रशासनिक कारणांे से इसे रद्द करने का निर्णय लिया है। इसकी नियुक्ति अगले माह नये सिरे कराए जाने की संभावना है।
नक्सलियों से लोहा लेने के लिए सीआरपीएफ ने एक स्पेशल विंग कोबरा बटालियन का गठन किया था। इसके लिए 27 जनवरी को नियुक्ति प्रक्रिया शरू हुई थी। इस नियुक्ति में बड़े पैमाने पर पैसे की लेन-देन हुई थी। सीबीआई ने इसका खुलासा करते हुए आईजी समेत 11 लोगों को गिरफ्तार भी किया था। कोबरा बटालियन के लिए 717 पदों पर नियुक्ति होनी थी। इसके लिए बकायदा बिहार के मोतिहारी, बेगूसराय, गया और जमुई के अलावा झारखंड बोकारो और देवघर में 27 जनवरी को नियुक्ति प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी, लेकिन मामला जागर होने के बाद डीाअईजी डेरियल डी सेना ने प्रशासनिक कारणों से इसे रद्द कर दिया गया।
नक्सलियों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सरकार ने सीआरपीएफ के अंदर ही एक अलग विंग कोबरा बटालियन का गठन किया था, जो जंगल और पहाड़ों में छीपे नक्सलियों से सीधा मुकाबला करता। इसके लिए 717 पदों पर नियुक्ति होनी थी, लेकिन सीबीआई ने इसकी भनक लगते ही फरवरी से ही अपना जाल बिछाना शुरू कर दिया। इसका खुलासा होते ही वैसे लोगों पर कार्रवाई और धर-पकड़ तेज हो गई थी। इस मामले में सीबीआई ने सीआरपीएफ के तत्कालीन आईजी पुष्कर सिंह, डीआईजी बाखला समेत 11 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर जेल भेज दिया था। इसमें कई ऐसे लोग भी थे, जिनका सीआरपीएफ से कोई संबंध नहीं था और पूर्व से भर्ती के नाम पर मोटी रकम की उगाही करते थे।
बहरहाल, मामला जो भी हो लेकिन डीआईजी के इस आदेश के बाद वैसे 717 उम्मीदवार, जिसने नौकरी के लिए मोटी रकम दी थी और कड़ी मेहनत की थी उसके उम्मीदों पर पानी फिर गया है। वैसे यह कोई नई बात नहीं है। सीआरपीएफ में पहले भी भर्ती घोटाला हो चुका है और कई आधिकारी भी इसके लपेटे में आकर जेल की हवा चुके हैं। सुरक्षा तंत्र में अगर इस तरह का भ्रष्टाचार कायम रहा तो नक्सलियों से लोहा लेने की बात तो दूर ये जवान खुद अपनी सुरक्षा नहीं कर पाएंगे।
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