Sunday, June 14, 2009

सवाल सम्मान का

श्याम रजक ने उस लालू प्रसाद के खिलाफ बगावत कर दी जिसकी छत्रछाया में उन्होंने अपना राजनीति जीवन शुरू किया था। अपमान का दर्द जब नहीं सहा गया तो श्याम रजक ने उस घर को ही अलविदा कह दिया जिसेे कभी उन्होंने अपने खून-पसीने से खड़ा किया था।
श्याम रजक 1990 में पहली बार फुलवारी शरीफ से जनता दल के टिकट पर विधायक चुने गये। इसके बाद लालू प्रसाद की छत्रछाया में इनका पालिटिकल कैरियर संवरने लगा। लालू प्रसाद उन पर खूब विश्वास भी करने लगे। इसी के चलते श्याम रजक की पार्टी अहमियत भी बढ़ने लगी। उन्हें दल का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और राष्ट्रीय प्रवक्ता की खास जिम्मेवारी भी सौंपी गई। पार्टी की युवा और छात्र इकाई की कमान भी इन्हीं के पास थी। पार्टी में इनका कद तब और बढ़ गया जब इन्हें कोर कमेटी का मेम्बर बना लिया गया।
श्याम रजक के लिए मुश्किलें तब शुरू हो गईं जब पार्टी के ही कुछ नेता उन्हें अपमानित करने लगे। लालू प्रसाद के करीबी समझे जाने वाले दो पूर्व सांसदों की उन्होंने शिकायत भी की थी....लेकिन राजद सुप्रीमो ने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया। अपमान से आहत श्याम ने आज से पांच महीन पहले पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। इस इस्तीफे से लालू प्रसाद परेशान हो गये थे। उन्होंने किसी तरह श्याम रजक को समझा-बुझा कर मामला शांत किया था। इस बार श्याम का दर्द लाइलाज था इस लिए उन्होंने दवा से ही तौबा कर ली।
मान-सम्मान के सवाल ने श्याम को मजबूर कर दिया कि वह कोई कठोर फैसला लें। इनके इस्तीफे से लालू प्रसाद कितने प्रभावित होंगे यह तो वक्त बताएगा... लेकिन इससे राजद का दलित कार्ड तो जरूर कमजोर होगा।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....