हजार साल का समोसा
भूख लगे तो समोसा, मेहमान नवाजी में भी समोसा। यह एक ऐसा जंक फूड हैं, जिसको हर उम्र के लोग पसन्द करते हैं। क्या आप जानते हैं कि इसकी उम्र एक हजार साल की हो चुकी हैं। लेकिन आप इसकी उम्र पर मत जाइये क्योंकि आज भी यह पहले की तरह चुस्त तंदरुस्त बना हुआ है।
’तुम जियो हजारो साल -- साल की उम्र हो पसास हजार साल‘
जी हां समोसे को देख आज यही गाना गुनगुनाने को मन करता है। आप कहेंगे ऐसी क्या बात हो गयी । तो भईया हम आपको बता दें कि समोसे का उम्र हजार साल हो चुकी है। ऐसा माना जाता है कि चटपटे स्वाद वाले समोसे बनाने की षुरुआत दसवीं षताब्दी के दौरान मध्य एषिया में हुई थी। लेकिन चैदहवीं षताब्दी में ई जनाब घूमते फिरते भारत आ पहुचे। बस फिर क्या था, ...भारतीय भी इसके दीवाने हो गये।
साधारण सा दिखने वाले और तिकोने आकार वाले समोसे जी की सूरत पर मत जाइये। काहे कि जनाब की अहमियत ऐसी कि ज्यादातर लोगों की पलेट में नजर आ ही जाते हैं। समय के साथ हर चीज बदलता गयी, नहीं बदला तो ई जनाब का आकार और स्वाद। हम आपको ई भी बता दें कि दुनिया के करीब नब्बे परसेंट देष में इसी आकार का समोसा मिलता है। स्टफ्ड डीप फ्राई समोसे का जादू अब छोटे-बड़े सभी लोगो के सिर चढ़ कर बोल रहा है।
षहर में खुली स्नैक्स की हर दुकान पर ई जनाब हाजिर मिल जाऐंगे। इनकी कीमत भी ऐसी कि सब की जेब की पहुंच में है। एक अनुमान के मुताबिक साधारण तौर पर 2 से 4 रुपये की कीमत वाले इन समोसों की षहर में रोजाना करीब डेढ़ लाख से दो लाख पीस समोसे की बिकरी होती हैं।
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