Wednesday, June 24, 2009


सडक पर लालू

लालू यादव अपने आप में एक कमाल की हस्ति हैं।
उनकी हरेक बात हरेक अंदाज सुर्खियों में रहती है।
आज एक बार फिर लालू ने कुछ ऐसा कर दिया
है कि सहसा एक बार यकीन करना मुश्किल है।
क्या ये वही लालू हैं जिनके पैर कल तक जमीन पर
नहीं टिकते थे? क्या ये वही लालू हैं जिनका हरेक
काम उडनखटोले पर होता था? क्या ये वही लालू
हैं जो कभी अपने आप को बिहार का राजा कहा
करते थे? जी हां ये समय की ही कहनी है कि
कभी चुटकियों में फरमान जारी करने वाला एक
समय का राजा आज खुद रंक बना अपनी मांगों को
लेकर सडकों पर है। दरअसल लालू उस मुद्दे को लेकर आज धडने पर बैठे जिसको
को लेकर कभी उनके भी दामन पर उंगलियां उठती रही थीं। सत्ता पक्ष की माने
तो बिगडति कानून व्यवस्था के मसले पर राजद का यह रूख कुछ शोभनीय नहीं दिख रहा।बहरहाल राजनीति में आरोप प्रत्यारोप का यह दौर तो सहज है।लेकिन राष्ट्रीय जनता दल के इतिहास का यह पहला मौका है जब लालू को अपने कार्यकत्र्ताओं का मनोबल बढाने के लिए सडकों पर आना परा।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....