मानसून में देर भयंकर परिणाम
कहा जाता है कि जल हीं जीवन है। समय से मानसून का न आना एक साथ कई समस्याओं को जन्म देता है। एक तरफ किसान परेशान हैं अपनी फसल को लेकर तो दूसरी तरफ आम जनता की परेशानी है भीषण गर्मी हाय रे गर्मी।
मानसून आने में देरी और तापमान लगातार 40 डिग्री के उपर रहने से बिहार के खेतों में लगी फसल सुखने लगी है। खेतों में भी दरारें पड़ने लगी है। किसानों के हाल बेहाल हैं। धरती पुत्र कहलाने वाले ये लोग मानसून की बेरूखी के चलते गांव से शहर में आकर रिक्शा चलाने लगे हैं। ताकि कुछ पैसों की आमदनी हो जिससे परिवार का भरण-पोषण हो सके।
बारिस में देरी के वजह से आलम यह है कि पशु-पक्षी और जानवर का हाल भी बेहाल है। बारिस के मौसम में जो मोर अपने पंख फैलाकर अपने खुशी का इजहार करते थे। वो भी अपने पंख को समेटे पानी के इंतजार में आसमान निहार रहे हैं। बढते गर्मी से बेहाल भारी-भरकम शरीर वाले गेंडा भी अपने आशियाने को छोड़ पानी में रहना ही बेहतर समझते हैं।
मौसम विज्ञानी की मानें तो अभी कुछ दिन और यही आलम रहेगा। मानसून का समय से नहीं आने के पीछे आइला साइक्लोन का हाथ है। ई देखिए ये है भारत के पूर्वांचल राज्य जिसे सेवेन सिस्टर के नाम से जाना जाता है। यहां तो खुबे बादल है, लेकिन ई है बिहार जहां आसमान बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा है। और आने वाले 48 घंटों तक बरसा होने की कौनों संभावना भी नजर नहीं आ रही है।
अगर ऐसे हीं कुछ दिनों तक मानसून नहीं आ पाया, तो पीने के पानी तक को लाले पड़ जाएंगे। जमीनी पानी के जलस्तर तो पहले से ही नीचे हैं, अब और भी नीचे चले जाएंगे। जिसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं।
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