Saturday, June 20, 2009




बढ़ता बुके कल्चर

पटना भी अब बूके कल्चर से अछूता नही हैं। लोगो में बढ़ते रूझान की वजह से बाजार में आज हर भेरायटी के बूके और गुल्दस्ते मिल जाएगे। इसके अलावा षहर में फूलो के दूकानो के अलावा इसके कई षोरुम भी मिल जाएगें। समय के साथ पटनावासी भी काफी फैषनेबूल हो चुके है। और ये फैषन लोग की जीवन षैली बन चुकी हैं। लोगो में अब हर खुषी के मौको पर बुके और गुलदस्ते देने का चलन बढ़ता जा रहा हैं। उधर बाजार में भी हर रेंज के खूबसूरत गुलदस्ते और बूके की बिकरी ग्राफ भी बहुत बढ़ गया हैं। फूल व्यवसायिओं के मुताबिक अब हर मौके पर लोगो ने बूके और गुलदस्ते खरीदना षुरु कर दिया हैं।
बूके और गुलदस्तांे में गुलाब लोगो की पहली पसंद है। मगर अब बाजार में आर्केट और जरबेरा से बने बूके और गुलदस्ते की तरफ लोगो का रुझान बढ़ता जा रहा हैं। हाॅलाकि इन फूलों से बने बुके के लिए गा्रहकों को अपनी जेबें थोड़ी सी ज्यादा ढीली करनी पड़़ रही है। मसलन साधारण गुलाब से बने गुलदस्ते की कीमत जहाॅ पचास रुपये हैं, तो जरवेरा, आरकेट, लिलि और गुलाब मिक्स गुलदस्तें की कीमत पच्चहत्तर रुपये से लोगो के बजट पर निर्भर करता हैं।
गौरतलब हैं कि बूके और गुलदस्तांे के बढ़ते बिकरी की वजह से फूलो की खपत भी काफी बढ़ गयी हैं। फूल व्यवसायीयों की माने तो सन 2005 के पहले ष्षहर में बूके और गुलदस्तांे की जहाॅ सालाना बीस से तीस हजार पीस तो साल 2005 के बाद यह बढ़कर करीब सत्तर हजार पीस तक पहुच चुका हैं। उधर गा्रहकों के बढ़ते रुझान को देखते हुए आने वाले दिनों में इन बुके की ब्रिकी में और इज़ाफा होगा।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....