मार गई मंहगाई
मंहगाई दर पिछले चार माह से अपने निचले स्तर पर है। बावजूद इसके खाने-पीने की चीजों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। लोग इस कदर हलकान हैं कि उनका जीना मुहाल हो गया है।
हाय मंहगाई; हाय मंहगाई की मार झेलते लोग अब काफी परेशान हो गये हैं। इससे छुटकारे का कोई उपाय लोगों को नहीं सूझ रहा है। गरीब और मिडिल क्लास के लोगों पर तो इसका पूरा असर पड़ा है। क्या वेतन पाने वाले;क्या व्यवसाय करने वाले; सभी मंहगाई से त्रस्त नजर आ रहे हैं। अगर बात करें उनकी जो दिन-भर की कमाई पर रोटी की जुगार करते हैं तो साहब उनके लिए तो मानो ये साक्षात मैात के समान है।
लोगों की सबसे बड़ी समस्या है कि जितना वो कमाते नहीं हैं उससे ज्यादा खर्च हो जाता है।
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया-गाने की एंट्री-जी हां सौ पचास कमाने वाले लोगों का मानना है कि उनका तो मरन दिन चल रहा है। अब सरकार मंहगाई दूर करके आम आदमी को जिए लायक भोजन;समान दिलावें तभी आदमी सब जिये। कुछ महिलाएं बताती हैं कि अपने भूखे रहकर किसी तरह बच्चों के लिए 2 रोटी जुगाड़ कर लेती हैं।
लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। लेकिन सरकार है कि इस तरफ चुप्पी साधे बैठी है।अब देखना ये है कि कब तक मंहगाई कंट्रोल में आती है। और लोगों को कब तक इससे राहत मिलती है।
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