Tuesday, June 30, 2009




संसद से सडक पर



कभी सरकार की तकदीर लिखने का दावा करने वाले आज अपनी ही तकदीर
पर मायूस हैें। खुद को संसद का शहंशाह समझने वालों केहालात ऐसे हो गये हैं कि अपनी अस्तित्व की लडाई के लिए ,वे अब सडकों पर हैं।ये हैं हमारे पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव। कल तक इनके शानके क्या कहने थे। शान भी ऐसा मानो संसद इन्हीं के शान से रौशन हो। चुनाव पहले तक इनका दावा भी यही था किइनके और इनकी पार्टी की बदौलत ही संसद की शोभा है और इनके बिना सरकार की कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन कहते हैं न कि सितारों की चाल बदलते ही किस्मत भी
दगा दे जाती है ।बिहार के इन दोनों सूरमाओं लालू और रामविलास के साथ भी
ऐसा ही हुआ।नौबत यहां तक आ गयी कि कल तक शाही ठाठ
का मजा लेने वाले इ नेता आज अपने अस्तित्व की लडाई के लिए
सडकों पर हैं और इस बात का इनको कौनो मलाल भी नहीं है।वो कहते हैं न कि सब दिन होत न एक समाना ।तो भइया ।कहावत को याद रखिए और इसी के आधार पर जनता को जर्नादन समझते हुए उनकी सेवा शुरु कर दिजीए।काहे कि नेताओं के किस्मत की चाभी तो जनता के ही हाथ में रहती है।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....