अभियान या छलावा
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठ तो रही है एक लम्बे समय से। लेकिन बिहार को अब तक नहीं मिल पाया है विशेष राज्य का दर्जा। ऐसे में इस बात पर चर्चा लाजिमी है कि नेताओं की यह मांग एक अभियान है या फिर मात्र एक छलावा।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले इसे लेकर राजनीतिक हल्कों में बयानबाजी का दौर बदस्तूर जारी है। बिहार को यह दर्जा मिलेगा या नहीं? यह तो आने वाला कल बताएगा लेकिन सूबे के बुद्धिजीवियों में इस मुद्दे को लेकर अलग-अलग राय है।
बिहार को विषेष राज्य का दर्जा देने की मांग बिहार के व्यवसायी वर्ग भी एक दशक से उठाते आ रहे हैं। बिहार चैम्बर आॅफ काॅमर्स का एक शिष्टमंडल 1991 में ही इस मांग को मजबूती के साथ तत्कालीन केन्द्र सरकार के पास रखा था लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। अब जब वर्तमान बिहार सरकार इस मुद्दे को गंभीरतापूर्वक उठा रही है तो सूबे के व्यवसायियों में भी आशा की किरण जगी है। बिहार के राजनेता भले ही इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देना शुरु कर दिए हों लेकिन आम नागरिकों को इस राजनीति से कोई लेना देना नहीं। बिहार की जनता को चाहिए सिर्फ सूबे का विकास और ये विकास चाहे जिस तरीके से हो।
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