लालू का हरफौली गीत
( लालू का नीतीष को बारिस के लिए गाने की सलाह)
अदरा नक्षतर के आने के बाद भी बादल दूर दूर तक नजर नहीं आ रहे तो सूखे की चिंता कुछ ज्यादा ही सताने लगी है। ऐसे में कहीं मेढक- मेढकी की शादी करायी जा रही है तो कहीं यज्ञ कराये जा रहे हैं। इतना हीें नहीं अब तो इंद्र देवता केा मनाने के लिये गीत गाने की भी बात हो रही है।
पुराने जमाने में गीत और संगीत में भी इतना असर होता था कि वे जादू की तरह काम करते थे। जैसे बारिश न हो रही हो तो मेघ को बुलाने के राग मेघ मल्हार गाया जाता था। पूर्व रेलमंत्री लालू यादव ने कुछ इसी अंदाज में जब हरफौली गीत गाया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी ये गीत गाने की सलाह दे डाली तो हरफौली गीत अचानक सुर्खियों में आ गया। लालू प्रसाद ने बताया कि पुराने जमाने में बारिश को बुलाने के लिए यह गीत गाया जाता था।
अब जब बारिश की अमृत बूंदों का इंतजार लंबा खिंचने लगा है और धरती का हर कोना प्यास से तड़प उठा है तो कोई न कोई जतन करने की आवश्यकता आन पड़ी है। ऐसे में लालू की सलाह मानकर अगर नीतीश हरफौली गीत गायें तेा कोई बुरा भी तो नहीं। ये अलग बात है कि नीतीश कहीं ये न सोच रहे हेां कि अगर वे हरफौली गीत गाये और सचमुच बारिश हो गयी तो कहंी लालू केा राजनीतिक लाभ न मिल जाये। लेकिन नीतीश जी हम तो यही कहेंगे आप तो जनता के सच्चे सेवक हैें और अगर हरफौली गीत गाने से ही पानी का धार आसमान से टपक पड़ता है तो आपको देर नहीं करनी चाहिये।
( लालू का नीतीष को बारिस के लिए गाने की सलाह)
अदरा नक्षतर के आने के बाद भी बादल दूर दूर तक नजर नहीं आ रहे तो सूखे की चिंता कुछ ज्यादा ही सताने लगी है। ऐसे में कहीं मेढक- मेढकी की शादी करायी जा रही है तो कहीं यज्ञ कराये जा रहे हैं। इतना हीें नहीं अब तो इंद्र देवता केा मनाने के लिये गीत गाने की भी बात हो रही है।
पुराने जमाने में गीत और संगीत में भी इतना असर होता था कि वे जादू की तरह काम करते थे। जैसे बारिश न हो रही हो तो मेघ को बुलाने के राग मेघ मल्हार गाया जाता था। पूर्व रेलमंत्री लालू यादव ने कुछ इसी अंदाज में जब हरफौली गीत गाया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी ये गीत गाने की सलाह दे डाली तो हरफौली गीत अचानक सुर्खियों में आ गया। लालू प्रसाद ने बताया कि पुराने जमाने में बारिश को बुलाने के लिए यह गीत गाया जाता था।
अब जब बारिश की अमृत बूंदों का इंतजार लंबा खिंचने लगा है और धरती का हर कोना प्यास से तड़प उठा है तो कोई न कोई जतन करने की आवश्यकता आन पड़ी है। ऐसे में लालू की सलाह मानकर अगर नीतीश हरफौली गीत गायें तेा कोई बुरा भी तो नहीं। ये अलग बात है कि नीतीश कहीं ये न सोच रहे हेां कि अगर वे हरफौली गीत गाये और सचमुच बारिश हो गयी तो कहंी लालू केा राजनीतिक लाभ न मिल जाये। लेकिन नीतीश जी हम तो यही कहेंगे आप तो जनता के सच्चे सेवक हैें और अगर हरफौली गीत गाने से ही पानी का धार आसमान से टपक पड़ता है तो आपको देर नहीं करनी चाहिये।
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