आदि चित्रगुप्त मंदिर
पटना सिटी में 2500 वर्ष प्राचीन मुद्रा राक्षस और अकबर के बजीरे खजाना चित्रगुप्त आदि मंदिर है। इस मंदिर में में सैकड़ो वर्ष प्राचीन काली कसौटी की मूर्ति विराजित है। मंदिर के पास हीं सूफी संत नौजर साह का मकबरा है।
ये है गंगा किनारे बना 2500 वर्ष प्राचीन चित्रगुप्त मंदिर। इस गंगा तट को सांझी विरासत के तहत नौजर घाट और चित्रगुप्त घाट दोनों ही कहा जाता है। इतिहासकार बताते है कि भगवान श्री राम, लक्ष्मण और महर्षि विश्वामित्र ताड़का का वध करके गंगा के किनारे-किनारे बक्सर से पटना की ओर आये थे। यहीं से रूककर राजा जनक के स्वयंवर आमंत्रण पर गंगा के इसी घाट से नाव से जनकरपुर गये थे। जबकि सीता को भी लेकर इसी रास्ते लौटे थे। इसका प्रमाण है यहां बना प्राचीन सीता मंदिर।
इस मंदिर का ऐतिहासिक आधार यह भी बताया जाता है कि पाटलिपुत्र में नंदवंश के शासक मुद्रा राक्षस चित्रगुप्त घाट पर यमद्वितीया को भगवान चित्रगुप्त की सामूहिक पूजा की थी। मुद्रा राक्षस कायस्थ जाति के थे। इतिहासकारों की मानें तो अकबर के वजीरे खजाना राजा टोडरमब जिन्हें कायस्थ कहा जाता है, ने सन् 1573 में इसी घाट पर पूजा की और वाराणसी से श्याम पासान सिलाखंड और शिल्पी लाकर सन 1574 में पुनः यमद्वितीया के दिन चित्रगुप्त पूजा कर इस मंदिर की स्थापना की गई। पचास के दशक में चित्रगुप्त मंदिर से मूर्ति गायब हो गई थी। जो काफी खोजबीन करने पर वो मूर्ति बरामद हो पायी।
भक्तों के मिलने से मंदिर में भगवान चित्रगुप्त के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई। फिलहाल इस मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है। इस प्रभावी योजना के साथ मंदिर एक भव्य आकार ले सकेगा।
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