कुर्सी पर खतरा
राष्ट्रीय जनता दल की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं हैं।एक एक करके
सारे ओहदे ,सारी पदवी धीरे धीरे उनके हाथों से निकलती जा रही हैं।
नौबत इहां तक है कि राज्य ,केन्द्र के बाद अब मुख्य विरोधी दल तक की भी कुर्सी खिसकती नजर आ रही है।
दल बदल से न केवल राजद की साख को नुकसान हो रहा है
बल्कि उसके ओहदे भी घटते जा रहे हैं।राजद विधान पार्षद भीम
सिंह ने पार्टी से इस्तीफा देकर जदयू क्या ज्वाइन किया विधान
परिषद में नेता विरोधी दल की ही कुर्सी पर बन आयी। दरअसल
इस कुर्सी के लिए राजद को दस सदस्यों की आवश्यकता है।लेकिन भीम सिंह
के जाने के बाद परिषद में पार्टी के कुल आठ ही सदस्य बचे हैं।
हलांकि गुलाम गौस विधी सम्मत कार्यवाही के तहत कुर्सी छोडे जाने
की बात कह रहे हैं।लेकिन मामला इहें नहीं रूकता अब तो मुख्य
सचेतक का भी दर्जा राजद से छिनने वाला है।
इसे समय की मार कहें या राजनीति का फसाना कई ओहदांे से हाथ
धो चुके राजद के पास अब खोने के लिए बहुत कम चीजें बचीं हैं ।
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