Saturday, June 6, 2009

रियल एक्टर सुनील

स्टार तो बहुते हुए सब ने अपने-अपने ढंग से अपनी पहचान बनाई। मगर जिन्दगी के उतार चढ़ाव वाले पहले एंग्री यंग मैन कहे जाने वाले सुनील दत्त के क्या कहने। हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता के रूप में जहां अपनी पहचान बनाई। वहीं कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। जीवन के अंतिम फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में पहली बार अपने पुत्र संजय के साथ आने वाले दत्त का जीवन दर्द से भरा हुआ था। इनका जन्म आजादी के पहले भारत के पंजाब राज्य के झेलम के खुर्दी गांव में हुआ था। जो अब पाकिस्तान में पड़ता है। बंटवारे के दौरान उनका परिवार भारत आ गया। मुम्बई आकर सुनील हिन्द काॅलेज में पढ़ाई के साथ नौकरी करने लगे। कैरियर की शुरूआत रेडियो स्टेशन उद्घोषक के रूप में किया था।
( म्यूजिक-कल चमन था आज एक सहरा हुआ .........)
हिन्दी फिल्मों में अभिनय करने की ओर अग्रसर हुए सुनील 1955 में बनी रेलवे स्टेशन उनकी पहली फिल्म थी। पर 1957 में मदर इंडिया ने उन्हें बड़ा सितारा बना दिया। इसी फिल्म की एक घटना ने नर्गिस और सुनील को जीवनभर के लिए जोड़ दिया। ये दोनों लोग एक दूसरे को डार्लिंग कहा करते थे। जिन्दगी में काफी उतार चढ़ाव देखने वाले इस हीरो ने कभी हार नहीं मानी।
आजीवन कांग्रेस का साथ निभाने वाले सुनील दत्त मनमोहन सरकार में युवा मामलों और खेल विभाग में कैबिनेट मंत्री रहे। आज उनके राजनैतिक विरासत को उनकी बेटी प्रिया दत्त संभाल रही है। तो बेटा संजय भी राजनीति में सक्रिय हो गए हैं। सुनील दत्त की लोकप्रियता आज भी इतनी है कि मौत के बाद भी दर्शक उन्हें पर्दे पर देखकर खिल जाते हैं। फिल्मी दुनियां के पहले एंग्री यंग मैन कहे जाने वाले दत्त अपने प्रशंसकों की नब्ज को पहचानते थे।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....