Saturday, June 6, 2009


खाद कालाबजारियों के हौसले


बिहार के किसानों की कालाबाजारी में खाद खरीदना नियती बन गई है। इन कालाबाजारियों के खिलाफ कृषि विभाग न तो सख्ती बरत रहा है, न कालाबजारियों के हौसले पस्त हो रहे हैं। जिससे किसानों को आए दिन इनका ग्रास बनना पड़ता है। खेतों में फसलों को देखिए समय पर इनको पानी और खाद चाहिए, जिससे ई बढ़िया पैदावार उपज सके। सूबे के किसान अपना पूरा एनर्जी इन्हीं फसलों के उपजाने पर लगा रखे हंै। जिन्दगी जीने के लिए दो जून के रोटी चाहिए। जो इन्हीं फसलों के पैदावार से ई किसानों कोहो पाएगा। पर! ई का कर्जा लेकर खेती करने वाले इन किसानों को भी खाद कालाबाजारी में हीं खरीदना पड़ रहा है।
खाद की कालाबाजारी को रोकने को लेकर एक वर्ष में विभाग ने 425 छापामारियां तो कीं, लेकिन इसमें से 30 दुकानदारों के लाईसेंस ही रद्द किए गए। सबसे बड़ बात तो ई है कि कालाबाजारियों के खिलाफ अनुसंधान की कार्रवाई में इतने पेंच हैं कि वे साफ बच निकलते हैं। एक साल में सबसे अधिक खाद कालाबाजारी के खिलाफ गोपालगंज में छापोमारी हुई है। इहां पर 95 जगह छापेमारी हुई, लेकिन मजे की बात ई है कि एको लाइसेंस रद्द नहीं हुआ और न किसी के खिलाफ एफआइआरे दर्ज हुआ। बात एक ही जिला का नहीं है। खाद की कालाबाजारी करीब-करीब सभे जिला में बहुते पहिले से होता आ रहा है। चैंकाने वाली बात तो ई है कि पटना में अप्रैल 2009 में दस खाद विक्रेताओं के यहां छापा मारा गया। उनके खिलाफ एफआइआरो दर्ज हुआ। लेकिन हद तो तब हो गई जब तत्कालीन कृषि मंत्री के निर्देश पर उसे वापसो ले लिया गया था। बाद में मुख्यमंत्री के निर्देश पर इसे वापस लिया गया और तब जाके एफआइआर दर्ज किया गया।
ऐसा नहीं की सूबे की सरकार इससे वाकिफ नहीं पर खाद कालाबाजारियों के खिलाफ कोई कारगर कदम नहीं उठाया जाना कई सवालों को जन्म देता है। अब देखना ई है किसानों की हिमायती कहलाने वाली ये सरकार कालाबाजारियों शिकंजा कसेगी या नहीं कहना मुश्किल लगता है।




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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....