गायब होती बासमती की खुश्बू
धान के कटोरा के रूप में चर्चित अरवल की उपजाउ धरती पर से जीरा बासमती की खुश्बू गायब हो रही है। कभी किसान इसकी खेती करना शान समझते थे। आज वही इसके बीज नही मिलने से खासा परेशान हैं।
अरवल जिला का महेंदिया गांव। जहां के छोटे-बड़े किसान श्याम बासमती धान की खेती किया करते थे। लेकिन इस धान में रोग लगने के चलते पैदावार की दर काफी कम होने लगी है। किसान को अब इसकी बोआई से कोई फायदा नहीं हो रहा है। ई धान अब केवल शादी-विवाह और पूजा-पाठ के लिए हीं बोए जा रहे हैं।
हालांकि आज से दस साल पहले अरवल का श्याम जीरा चावल बिहार से दूसरे राज्यों में जाता था। लेकिन अब वो बात कहां ? हर कोई प्रोफेशनल हो गया है। उसे वैसे फसल की जरूरत है जो अच्छी कमाई करा सके। बासमती धान को छोड़कर किसान श्याम जीरा की जगह सुपर सोनम, गंगा कावेदी, 7029 नटवा मंसूरी, राजेन्द्र वन के धान की बोआई कर रहे हैं।
कभी बासमती की खुश्बू बिखेरने वाले अरवल के किसान भी धान में रोग लगने और बीज नहीं मिलने की वजह से इसकी खुश्बू बिखेर पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं।
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