संकट में फिल्मोद्योग
मल्टीप्लेक्स मालिकों और फिल्म निर्माताओं के बीच साझेदारी को लेकर चल रहे विवाद का असर बिहार मंे भी दिख रहा है। राज्य के फिल्म व्यवसाय को अब तक इससे करोड़ों का नुकसान होचुका है।सबसे ज्यादा नुकसान छोटे सिनेमाघरों को उठाना पर रहा है। पटना के सिनेमाघरों में अब षुक्रवार को भी पहले की तरह रौनक
नहीं होती है।मल्टीप्लेक्स और फिल्मोद्योग के बीच चल रहे विवादका असर यहां भी दिख रहा है।इस विवाद के कारण नई हिन्दी फिल्मों का प्रदर्षन नहीं हो पा रहा है। इनके प्रदर्षन न हो पाने से सिनेमा हाॅल में पहले की तरह केे दर्षक नहीं जुट रहे,साथ हीएक सिनेमा घर को तकरीबन एक से डेढ़ लाख का घाटा उठानापड़ रहा है।
अब अपनी पहचान बनाए रखने के लिए सिनेमाहाॅल वाले भोजपुरी फिल्मों का सहारा ले रहे हैं।इसके बाद भी घाटे की भरपाई तो दूर सिनेमाघरों का मेंटेनेंस निकालना भी मुष्किल हो गया है।चल रहे
विवाद में फिल्म निर्माता और मल्टीप्लेक्स दोनों अपना फायदा चाहतेे हैं। मल्टीप्लेक्सों की किसी भी फिल्म की कमाई में साठ प्रतिषत की साझेदारी पहले थी जबकि फिल्म निर्माताओं को इससे चालीस प्रतिषत का फायदा होता था। अब मल्टीप्लेक्स को निर्माता चालीस प्रतिषत से ज्यादा देने को तैयार नहीं।मामला 50-50 पर जाकर अटक गया है, लेकिन फैसला अभी नहीं हो पा रहा है। फिलहाल तो यह विवाद थमता नहीं दिख रहा है । ऐसे मेंसिनेमा
प्रेमियों को नई फिल्म देखने के लिए और इंतजार करना होगा।
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