35 साल बाद भी नहीं रूकते आंसू
बेटे के मौत की कहानी आज भी नहीं भूली है मां। आज भी नहीं रूके हैं इनके आंखो के आंसू। 35 साल बाद भी आंसू बहा कर उसी तरह से याद कर रही है अपने लाडले को।
(मैं रोउं तो रोए आंसू .....मैं गाउं तो गाए आंसू...ये आसूं मेरे दिल की जुबान है)
ये हैं 75 वर्षिया पुलिया कुंअर जो अपने आंखो से बहते आंसू को आंचल से पोछ रही हैं। जब इनको पता चला कि संपूर्ण क्रांति की वर्षगांठ पर जेपी गोलंबर पर बड़े-बड़े नेता आएंगे और आंदोलन के दिनों की कहानी सुनायी जाएगी तो उ अपने को रोक नहीं सकीं। शहीद बेटा जय किशोर सिंह के नाम का जिक्र सुनने छपरा जिले के मढ़ौरा प्रखंड के छेनकी गांव से पटना पहुंच गयीं। लेकिन अफसोस कि उनके बेटा का नाम कवनो नेता को यादे नहीं रहा।
8 नवंबर 1974 को मढ़ौरा में दारोगा बाबू की रैली मे पुलिस अचानके गोली चला दी। उ गोली 18 वर्षिय जयकिशोर सिंह के गले जा लगी। जयकिशोर जयप्रकाश नारायण का कट्टर समर्थक था। गोली लगने पर जयकिशोर को पटना लाया गया। इनकी सहायता जयप्रकाश नारायण भी करना चाहते थे लेकिन पुलिया देवी मना कर दीं। बेटे के इलाज के लिए अपनी जमीन तक बेच दीं लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था और बेटा चल बसा। जिसका मुखांगनि जयप्रकाश नारायण ही दिए। ये सब बातें कहकर झरझर रो रही हैं पुलिया। इनको इस बात का थेड़ा भी दुख नहीं है कि बेटा संपूर्ण क्रांति के वेदी पर शहीद हो गया। बल्कि आज के सरकार से इनको शिकायत है। मुफलिसी में जीवन काट रही पुलिया को अभी भी उम्मीद है कि सरकार जरूर इनके लिए कुछ करेगी। पुलिया बस यही चाह रही है कि जिस जगह पर बेटा को गोली लगी थी उसी जगह पर शहीद जयकिशोर स्मारक बनाया जाए। उस जगह को आज भी सुरक्षित रखा गया है। अब तो ये सरकार पर ही निर्भर करता है कि उस जगह पर शहीद जयकिशोर स्मारक बनाती है या नहीं।
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