नीतीश ने नहीं खोले पत्ते
महिला आरक्षण विधेयक एक बार फिर चर्चा में है। इस मामले को लेकर राजग के दो घटक दल जदयू और भाजपा के अलग-अलग नजरिए हैं। घटक दलों की बात तो दूर दल के अंदर भी मचने लगा है घमासान इस मामले को लेकर। जदयू सांसद शरद यादव जहां खुलकर विरोध कर रहे हैं इस विधेयक का वहीं नीतीश कुमार की चुप्पी से रहस्य गहराता जा रहा है। नीतीश कुमार की चुप्पी नेे कई सवाल कर दिए हैं खड़े जिसपर चर्चाएं हो गयीं हैं आम।
1999 की वाजपेयी सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक को सदन में लाया था लेकिन विरोध के कारण विधेयक पारित नहीं हो पाया था। पूरी बहुमत के साथ केन्द्र में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस ने इस बार इस विधेयक को अपने 100 दिनों के एजेंडा में प्रमुखता के साथ रखा है। विधेयक को एजेंडा में आते ही शुरु हो गया इसका विरोघ। भाजपा इस विधेयक के समर्थन में है तो जदयू सांसद शरद यादव इसके विरोध में लेकिन नीतीश कुमार की चुप्पी ने इस मामले को और पेचीदा बना दिया। सवाल उठने लगे कहीं नीतीश कुमार और शरद यादव की राय अलग - अलग तो नहीं। शरद यादव के विरोध के कारण कहीं नीतीश शरद से नाराज तो नहीं। क्या जदयू में पर जाएगी दरारें महिला आरक्षण विधेयक को लेकर? क्या नीतीश कुमार और कांग्रेस के बीच अभी भी पक रही है खिचड़ी? ऐसे कई सवाल हैं जिस पर चर्चाएं आम हो गयी है।
सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान जदयू सांसद शरद यादव खुलकर इस विधेयक का विरोध किया। विधेयक का विरोध करते हुए शरद यादव ने तो जहर खाने की बात तक कह डाली।
विकास यात्रा पर जाने के पूर्व स्टेट हैंगर पर पत्ऱकारों के इस मामले पर नीतीश कुमार का पक्ष जानने की सारी कोशिशें बेकार गयी। नीतीश कुमार अपना पक्ष स्पष्ट किए बगैर विकास यात्रा के लिए कूच कर गए।
शरद यादव के विरोध पर नीतीश कुमार की चुप्पी में कई राज हैं जिसका खुलासा शायद विकास यात्रा से लौटने के बाद कर सकते हैं नीतीश कुमार। नीतीश कुमार का स्टैंड जो भी हो लेकिन इतना तय है कि अगर भाजपा अपने स्टैंड पर कायम रही तो इस बार यह विधेयक सदन में पारित हो जाएगा।
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