Wednesday, June 10, 2009

पेंषन योजना का विरोध

संपूर्णक्रांति के सेनानियों को पेंषन देने की घोषणा के साथ ही राजनीतिक- सामाजिक गलियारों में इस पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। नीतीष की इस घोषणा को कोई राजनीतिक करार दे रहा है तो कोई इसे गलत परंपरा की षुरुआत बता रहा है। वहीं मुख्यमंत्री अपने इस स्टैंड को नई पहल बता रहे हैं।
नीतीश की इस घोषणा के साथ ही जहां इस आंदोलन से जुड़े सातहजार आठ सौ अड़तालीस परिवारों के चेहरों पर रौनक आ गई है, वहीं कई राजनीतिक दल इस घोषणा से चिढ़े हुए हैं। बिहार सरकार की इस पहल को कांग्रेस गलत परंपरा की षुरुआत बता रही है। प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष तो सरकार की इस पेंषन योजना को ही खारिज कर रहे हैं। कह रहे हैं जिस जेपी ने बीमार रहते हुए भी इंदिरा जी से सरकारी मदद नही ली क्या उनके अनुयायियों को यह पेंषन लेते षर्म नहीं आएगी।
असल में नीतीष की यह घोषणा और कांग्रेस के इस विरोध को राजनीतिक नजर से ही देखा जा रहा है। नीतीष ... सम्मान देने के बहाने राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं तो कांग्रेस उस वक्त की कांग्रेस सरकार के कदम को जायज ठहराने में लगी हुई है। लेकिन सबसे खास है क वामपंथी नेता भी इस पेंषन का विरोध कर रहे हैं। लेफ्ट नेताओं का कहना है कि अगर संपूर्णक्रांति के आंदोलनकारियों को पेंषन दिया जा रहा है तो इस देष में हुए सैकड़ों - हजारों विरोध के सेनानियों को सम्मान नहीं मिलना चाहिए। अगर इस बात का विरोध नहीं हुआ तो यह देष हित के विरूद्ध होगा।
उधर नीतीष कुमार पर इस विरोध का कोई असर नहीं दिख रहा है। सेनानी सम्मान पेंषन योजना को जायज ठहराते हुए इसे हर हाल में लागू करने की बात कह रहे हैं। उठ रहे विरोध की आवाज को दरकिनार करते हुए अपनी सफाई दे रहे हैं , और किसी भी तरह की राजनीति से इनकार कर रहे हैं।
राजनीतिक दलों के विरोध और समर्थन से इतर बुद्धिजीवी तबका भी इस योजना पर सवाल उठा रहे हैं। क्या जेपी और आचार्य राममूर्ति ने इस मकसद के तहत संपूर्णक्रांति का बिगुल फूंका था ? क्या इस पेंषन योजना से उन तत्वों को बढावा नहीं मिलेगा जो राजनीतिक अराजकता फैलाते हैं ? उनके सिद्धातों - उसूलों के खिलाफ इस पेंषन योजना से उनकी उपलब्धियों पर बट्टा नहीं लग रहा है? और सबसे बड़ा सवाल यह कि जिस जेपी के नाम पर ये सारा कुछ हो रहा है उन्हें ये कबूल होता ?
बहरहाल , राजनीति अपने चरित्र के हिसाब से सारा खेल रचती है। ऐसे में पेंषन योजना पर हो रहे विरोध और समर्थन के खेल का अंत कब होता है इसका इंतजार कीजिए।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....