Wednesday, June 3, 2009

बूरी आत्मा का साया: विष्वास या अंधविष्वास


दुनिया बदली। समय बदला। लोग आज चांद तारों पर जाने की बात कर रहे हैं। विज्ञान की नयी खोज ने भी लोगों की जिंदगियां आसान की। लेकिन इतने बदलाव के बाद भी लोगों का अंधविष्वास पर से विष्वास नहीं कमा। यही कारण है कि आज भी इन्ही बातों के दम पर राज्य में ओझा-गुनियों की दुकान चलती है। प्रेतात्मा से मुक्ति का ऐसा ही नजारा दिख रहा है पटना सिटी के घाटों पर । खुले बाल और झूमता षरीर ये नजारा किसी पब या डिस्को का नहीं है । बल्कि ये नजारा है पटना सिटी के घाट का। जहां अंधविष्वास में विष्वास करने वालों लागों की भीड़ लगी है। गंगा की लहरों के साथ यहां देवताओं को खुष करने की कोषिष की जा रही है। वह भी अंग्रेजी षराब पिलाकर। यहां उमड़ी भीड़ इन साधकों को देखने के लिए है। उनका यह विष्वास है कि दर्षन मात्र से ही उनके सब काम पूरे हो जाएंगे और उनपर बुरी आत्मा का साया कभी नहीं पड़ेगा । लोगों की आस्था ऐसी कि बीमार होनेे के बाद लोग डाॅक्टर के पास नही जाते हैं। सबको विष्वास है उस शक्ति पर जो उन्हे जिंदगी में खुषहाली देगी। इस पूजा में शामिल होने वाले लोगों के देवताओं को खुष करने के तरीके भी अजीब हैं। सबसे चैंकने वाली बात ये है कि जिनके उपर देवता के आने की बात की जाती है उनको खुष करने के लिए लोग उसे शराब पिलाते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि आखिर अंधविष्वास का दौर कब तक चलता रहेगा। इसके लिए कहीं न कहीं हमारी सामाजिक वयवस्था भी दोषी है जो इन चीजों को बढ़ावा देती है। पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि कबतक अंधविष्वास में लोग ठगे जाते रहेंगे । इस प्राचीन मंदिर में टंगा यह घंटा डेढ़ सौ साल पुराना है। सन् 1958 मे नेपाल के तत्कालिन महराजा ने इसे दान में दिया था। कहा जाता है कि मुगल हुक्मरान शाह आलम भी इस मंदिर पर आये थे और मंदिर को कुछ संपति दान में दिये थे। जिससे लगता है कि इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है, लेकिन आज यह प्राचीन मंदिर जीर्णावस्था में पहुंच चुक है। मां भगवती के दर्शन करने के लिए आनेवाले श्रद्धालू मंदिर की यह अवस्था देखकर दुखी हैं।हजारों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा यह मंदिर एक ऐतिहासिक धरोहर भी है। आज जरूरत है एक ऐसी पहल कि जिससे शक्ति उपासना का केन्द्र बने इस मंदिर को बचाया जा सके।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....