कैसे होगा न्याय
अगर 15 साल में भी कोई चार्जषीट कोर्ट में नहीं दाखिल हो सके तो भला न्याय कैसे हो सकता है । पूर्णिया की रूपौली पुलिस एक ऐसे ही मामले को लेकर परेषान है।
पूर्णिया के पुलिस उपमहानिरीक्षक ने एक रिपोर्ट मांगकर रूपौली पुलिस का होश उड़ा दिया है। पंद्रह वर्ष पहले दायर हुए हत्या के केस का चार्जशीट अबतक न्यायालय नहीं पहुंचा है। लेकिन किसी अधिकारी ने इस संबंध में न तो कोई प्रयास ही किया और न ही कारण जानने का प्रयास किया। अब आला अधिकारी के निर्देश के बाद इस चार्जशीट को खोजने में पुलिस परेशान है।
पूर्णिया में लालगंज गांव में दिनेश यादव की अपहरण के बाद हत्या कर दी गयी थी। कोसी नदी के किनारे लाश भी मिल गया। दिनेश यादव के भाई नरेश यादव ने फरवरी 1994 में अपने भाई की हत्या का केस दर्ज कराया था। इसमें 11 लोगों को नामजद किया गया। जांच के बाद पुलिस ने चार्जशीट तो दाखिल किया, लेकिन वह चार्जशीट न्यायालय के पास नहीं पहुंचा। नब्बे दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं होने से सभी आरोपियों को न्यायालय ने 167-2 का फायदा देते जमानत दे दिया।
इस केस के फिर से खुलने के बाद यह मामला तूल पकड़ रहा है। अब सबाल उठ रहा है कि चार्जशीट अब तक न्यायालय में क्यों नहीं पहुंचा है। थाने से चलने के बाद इस हत्याकांड का चार्जशीट कहां गुम हो गया। इसके लिए कौन जिम्मेवार हैं। और लगता है कि इन प्रश्नों के उत्तर देना आसान नहीं है। इस केस में अनुसंधानकर्ता सहित कई लोगों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
पंद्रह वर्षों के बाद भी थाने से चला एक चार्जशीट का न्यायालय में नहीं पहुंचना पुलिस महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार की कहानी कह रहा है। इस केस की जांच शुरू होने के बाद आशा है कि इस रहस्य पर से पर्दा उठ जाएगा और पीड़ितों को न्याय मिल जाएगा।
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