शादी के मौके पर % मासूमों का शोषण
शादी का मौका, चहुंओर खुशी। दूल्हे राजा के रिश्तेदार व दोस्त बरात में नाच-गा रहे तो दुल्हन पक्ष के लोगों में दूल्हा को देखने व बरातियों के स्वागत में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ने का उत्साह। मगर, इस खुशी में भी खुलकर उड़ती हैं बाल श्रम कानून की धज्जियां। बिकती है मासूमों की गरीबी व मासूमियत।
हम बात कर रहे हैं शादी के मौके पर बारात में शामिल उन मासूमों की जो महज दस से बीस रुपये के लिए घंटों उठाते हैं भारी वजन। राज्य के अधिकतर लाइटगेट मालिकों द्वारा इन मासूमों का दोहरा शोषण किया जा रहा है। भले ही आपको यकीन न हो, इन मासूमों घंटों लाइट उठाये रखने के एवज में मालिकों द्वारा दस से बीस रुपये प्रति बारात का भुगतान किया जाता है।
बारात पक्ष से लाईट गेट के मालिक दस से पंद्रह हजार रुपये लेकर अपनी तिजोरी गरम करते हैं तो गरीब और बेबसी के बीच झूलते इन मासूमों को कम से कम इसका संतोष तो होता ही है कि उन्हें उस दिन बढिया भोजन मिल जाता है। पेट के लिए कभी-कभी ये मासूम एक रात में कई बरातों में ये वजन ढोते हैं।
बालश्रम के इस मामले में श्रमायुक्त का कहना है कि विभाग द्वारा इसकी जांच कर लाइट गेट मालिकों पर कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि यह बालश्रम कानून के उल्लंघन के साथ-साथ न्यूनतम मजदूरी कानून का भी मामला है। इसके लिए दोषी लोगों को बख्शा नहीं जायेगा।
सरकान ने 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम लेने को भले ही अपराध की श्रेणी में रखा हो, मगर ये कानून इन मासूमों के लिए बेमानी बन गयी है।
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