कब मिलेगा इनाम ?
सरकार गरीब मेधावी छात्रों केा मदद देने की बात तो करती है, लेकिन इसका लाभ लेने के लिए छात्रांे को इतने पापड़ बेलने पड़ते हैं कि उसे यह मदद बोझ लगने लगता है। दूसरी ओर आर्थिक मदद की घोषणा के बाद भी लाभ नहीं मिलने से छात्रों का मनोबल टूट रहा है। धनरूआ के राकेश ऐसे ही एक छात्र हैं। सरकार ने उन्हें प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी, लेकिन अबतक यह राशि उन्हें नहीं मिली है।
हाथ में सरकारी प्रशस्ति पत्र थामे सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते ये हैं राकेश कुमार। वर्ष 2008 के पटना जिला के मैट्रिकुलेशन के टाॅपर। जिले में सबसे अधिक अंक लाने के लिए सरकार ने इन्हें यह प्रशस्ति पत्र दिया है। इसके साथ ही सरकार ने दस हजार रूपये नगद पुरस्कार देने की घोषणा भी की थी। लेकिन वह पुरस्कार आज तक इन्हें नहीं मिला। पुरस्कार की राशि लेने के वो बार बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।
राकेश के लिए यह पुरस्कार महज पैसा भर नहीं है। यह उनके भविष्य का आधार है। राकेश का भविष्य बहुत कुछ इसी पुरस्कार पर निर्भर करता है। उनके माता पिता ने मजदूरी करके यहां तक उन्हें पढ़ाया। अब आगे की पढ़ाई का खर्चा उठाना उनके वश के बाहर है। ऐसी स्थिति में अगर उन्हें पुरस्कार की राशि मिल जाती है तो वह अपनी पढ़ाई जारी रख पाएंगे अन्यथा उन्हें पढ़ाई छोड़ना होगा।
अपने पशस्ति पत्र और अंक पत्र के साथ सरकारी दफ्तरों के चक्क्र काटते-काटते राकेश को अब यह प्रशस्ति पत्र भी बोझ लगने लगा है। वह इस बोझ को ढोते-ढोते निराश हो चुके हैं। यह राशि लेने के लिए उन्हें और कितने दिनों तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने होंगे इसका पता नहीं।
No comments:
Post a Comment