
FATHER'S DAY --21 JUNE
पापा,उड़ना सीखाते हैं
पापा !
एक विश्वास
नील गगन आकाश
अपने लाडलों का
सुरक्षा कवच होते हैं.
सीने पर अपने
तूफान झेलकर
अपनी गोद में
दुलार से
पूरी दुनिया
दिखाते हैं.
कहते!
चिंता नहीं चिंतन
की पाठ
पढ़ाने वाले
हर मुश्किल में
डटकर
दुनिया की भीड़ में
उड़ना सीखाते हैं.
आंखों में भविष्य के
सपने सजाने वाले
पूरा करने की
खातिर
दिन-रात
वक्त की भट्ठी में
खुद को जलाते हैं.
पर वो बात नहीं
आज पापा!
उम्र की ढ़लान पर हैं.
कल तक
राह दिखाने वाले
अपनों की ओर
उम्मीद और
कातर निगाहों से
टकटकी लगाए
बच्चों की खुशी में
अपने बचे दिन
तील-तील कर
काट लेते हैं.
कल तक अपनों पर
सब कुछ
कुर्बान करने वाले
पापा !
बीते कल को भूल गए
आंखें में
खुशियों की जगह
अश्कों की कहानी
रच जाते हैं.
पर !
ये क्या
बुढ़ापे की लाठी
जिसे सहारा बनाया
वो आज
इनके इसी हालात पर
जीने-मरने को
छोड़ जाते हैं.
ठहरो, सोचो !
कल तू भी
पापा बनोगे
कहीं ऐसा मत करो कि
आने वाले वक्त
तुम्हें भी
इसी चक्की में
न पीस डाले.
--मुरली मनोहर श्रीवास्तव
9430623520 / 9234929710
 

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