किडनैपिंग ग्राफिक्स
बिहार में क्राइम रूकने का नाम नहीं ले रहा है। पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद भी अपराधी कहीं न कहीं वारदातों को अंजाम देकर हो जा रहे हैं फरार। राजधानी पटना भी अब नहीं है सेफ। अपराधियों ने अपना ठिकाना बना लिया है पटना को। अपराधियों के सॉफ्ट टारगेट पर होते हैं बिजनेसमैन और छोटे-छोटे स्कूली बच्चे। जी हां, हम बात कर रहे हैं किडनैपिंग की। नब्बे के दशक में किडनैपिंग ने ले लिया था एक इंडस्ट्री का रूप। बिहार में सक्रिय ज्यादातर गैंगों ने लूटपाट छोड़ किडनैपिंग को ही बना लिया अपना मुख्य धंधा। आइए एक नजर डालते हैं...अब तक के किडनैपिंग केसों पर। 2001 में किडनैपिंग के 1689 मामले दर्ज हुए थे जिसमें रेनसम के लिए 385 मामले सामने आए थे। 2002 में 1948 किडनैपिंग मामले दर्ज हुए थे जिसमें रेनसम के लिए 396 केस दर्ज हुए थे। वहीं 2003 में 1956 मामले दर्ज हुए थे जिसमें 335 मामले रेनसम के थे। 2004 में 2566 मामले किडनैपिंग के सामने आए जिसमें रेनसम के लिए 411 केस दर्ज हुए थे। 2005 में किडनैपिंग के 2226 मामले सामने आए जिसमें रेनसम के लिए 251 केस दर्ज हुए थे। वहीं 2006 में किडनैपिंग के 2301 मामले सामने आए जिसमें रेनसम के लिए 194 मामले सामने आए। जहां 2007 में किडनैपिंग के 2092 केस दर्ज हुए जिसमें रेनसम के लिए 89 मामले सामने आए। वहीं 2008 में किडनैपिंग के 2735 केस दर्ज हुए जिसमें 66 मामले रेनसम के थे। 2009 में टोटल किडनैपिंग के 1505 मामले सामने आए जिसमें 38 केस रेनसम के दर्ज हुए।
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