चूल्हा नहीं जल रहा है....
एक तरफ बेरोजगारी का बढता दंश....महंगाई...सातवें आसमान पे....पूरा सूबा सूखा ग्रस्त घोषित किया जा चुका है....बावजूद इसके....लोग भूखों मरने को बेबश हैं....इस सबके बीच...मृत पड़ी ये हाईटेंशन फैक्ट्री....जो कभी हजारों लोगों को रोजगार देती थी...वो आज बंद पड़ी हुई है....इसमें काम करने वाले कर्मचारी सब्जी तक बेचने को मजबूर हैं....जिनके पास घर है..उनके यहां चूल्हा नहीं जल रहा है....और जो किराये पे रह रहे हैं...उनको तो घर छोड़ने की नौबत आ गई है....
इस विशाल इमारत का दाम जानकारी के अनुसार सरकार ने 7 करोड़ लगाया है।क्योंकि यह नामकुम में बन रहे हाइवे के पास है। जानकारी के अनुसार सरकार इसपे 2 करोड़ की निकासी भी कर चुकी है। पिछले 13 साल से बेना वेतन यहां का स्टाफ़ की अब बिल्कुल ही दयनीय स्थिती बन गई हगै। कई कर्मचारी तो जान भी गवां बैठे हैं। लेकिन सरकार कान में रूई स कर और आंख पे पट्टी बांधे बैठी है।
पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में इसे फिर से शुरू करने की कोशिश की गई थी। लेकिन जो भी कारण रहा हो,कामयाबी नही मिली।और फिर राजनैतिक इच्छा शक्ती की कमी के कारण.... ये फिर से अंधेरों से जूझती नज़र आ रही है। एक तरफ़ झारखंड बिजली बोर्ड अपने उपकरण बाहर के राज्यों से मंगा रहा है जबकि प्रदेश में इसके विकल्प मौजूद हैं। इस सरकारी उदासीनता में भी यहां का स्टाफ़ उम्मीद के सहारे इंतज़ार कर रहा है।
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