रांची के जमीन कि कीमत सातवे आसमान पर
राजधानी रांची के शहरी क्षेत्रों में जमीन ,माकन और फ्लैटों की सरकारी कीमतों में भारी बढोतरी के बाद से इनकी --खरीद बिक्री का काम पूरी तरह प्रभावित हो गया है ,वही सरकार को इससे राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है .वर्ष 2008 की विपरीत इस वर्ष लगभग 80 प्रतिशत तक सरकारी कीमत में वृद्धि की गई है ,जबकि नेशनल होसिंग स्कीम के तह्त ये वृद्धि सही नहीं है , अगर नियमों की माने तो इसमें 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि नहीं की जा सकती है .और अगर समय रहते इसे नहीं सुधार गया तो इससे कई लोग प्रभावित होंगे .
राजधानी रांची और आसपास कि जमीन कि सरकारी कीमत सातवे आसमान पर पहुंच गयी है. रांची में जमीन और फ्लैट कि सरकारी कीमतों में भारी बढोत्तरी कि गयी है. सरकार ने नई दर कि घोषणा कर दी है जो कि पहली अगस्त से प्रभावी भी हो गई है . नए दर के मुताबिक रांची के प्रमुख स्थानों कि जमीन का मूल्य तक़रीबन 10 लाख रूपये प्रति कट्ठा होगा जो कि पिछले साल के मुकाबले 80 फीसदी अधिक है. व्यापारिक और आवासीय फ्लैटों कि दरो में भी भारी बृद्धि हुई है. मूल्य बृद्धि से आम जनता तो परेसान है ही व्यापारी वर्ग भी खाशा नाराज है ,इन सब मसलों को लेकर झारखण्ड चैंबर कॉमर्स का एक प्रतिनिधिमंडल रांची के उपायुक्त से मिला और उनसे जमीन की सरकारी दरों में सुधार करने को कहा है ,वही ये चेतावनी भी दी है की अगर दरे कम नहीं की जाती है तो वो आन्दोलन करने के लिये विवश हो जायेंगे .
वही जमीन के सरकारी दरों में वृद्धि को लेकर उठ रहे विरोध के स्वर को देखते हुए अब रांची उपायुक्त ने इस बार एक बार फिर से पुनर्विचार करने का आश्वासन दिया है ,और दो दिनों के अन्दर वो इसपर कोई ना कोई निर्णय लेने का भरोसा दिलाया है .
रांची में अपनी जमीन और आसियाने का सपना सजाये उन हजारों लोगों का सपना टूट गया है ,क्योकि जमीन और फ्लैट्स की सरकारी रेट इतनी अधिक है की उस रेट पर घर या जमीन खरीदना aam wekti के लिए नामुमकिन है ,हां इतना सकून जरुर है की इसके खिलाफ अब विरोध के स्वर उठने लगे है ,जिसके बाद शायद सराकी दरों के रेट में सुधार हो जाये
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