ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे........
(फ्रेंडषिप-डे स्पेशल पर विशेष)
वक्त के साथ रिष्तों के मायने भी बदलने लगे हैं। आज भाई-भाई का दुष्मन बन बैठा है । चारो तरफ भागम-भाग है किसी के पास दूसरे के लिए वक्त नही है। संबंधांे का अब केाई महत्व नही रह गया है । लेकिन मनुष्य केे जीवन मे एक ऐसा रिष्ता भी है जिसका महत्व हमेषा रहा है , आज भी है ,और कल भी रहेगा और वह मूल्यवान रिष्ता है दोस्ती । हर इंसान के जीवन मंे दोस्ती का बहुत महत्व है और इस रिष्ते को ज्यादा गहरा बनाने के लिए साल का एक दिन दोस्ती के लिए समर्पित किया गया है जिसे दुुनिया भर में फ्रंेडषिप-डंे के रुप में मनाया जाता है । ,
फं्रेडषिप-डे का इतिहास
फं्रेडषिप डे मनाने की पंरम्परा बहुत पुरानी नही है। सन् 1935 मे अमेरिकी कांग्रेस ने अगस्त के महीने के पहले रविवार के दिन आधिकारिक तैार पर एक छुट्टी दोस्त और दोस्ती के सम्मान मे समर्पित की घोषणा की। तब यह उतना प्रभावी नहीं था। लेकिन आजकल यह फ्रेडषिप डे एक वार्षिक आयेाजन बन गया है। इसके बाद तो यह अवसर की सफलता केवल अमेरिका तक सीमित नही रही बल्कि समय के साथ साथ कई अन्य देष भी इस पंरम्परा को गोद लेना षूरू कर दिए । अधिक से अधिक देषों के समारोह मे षामिल होने के साथ ही फ्रेंडषिप-डे जल्द ही अंतराष्ट्रीय फ्रेंडषिप-डे बन गया । वर्ष के अगस्त महिना के पहले रविवार के दिन बडे़ ही उत्साहपूर्वक कई दंेषो मे फ्रेंडषिप-डे मनाया जाता है।
वक्त के साथ रिष्तों के मायने भी बदलने लगे हैं। आज भाई-भाई का दुष्मन बन बैठा है । चारो तरफ भागम-भाग है किसी के पास दूसरे के लिए वक्त नही है। संबंधांे का अब केाई महत्व नही रह गया है । लेकिन मनुष्य केे जीवन मे एक ऐसा रिष्ता भी है जिसका महत्व हमेषा रहा है , आज भी है ,और कल भी रहेगा और वह मूल्यवान रिष्ता है दोस्ती । हर इंसान के जीवन मंे दोस्ती का बहुत महत्व है और इस रिष्ते को ज्यादा गहरा बनाने के लिए साल का एक दिन दोस्ती के लिए समर्पित किया गया है जिसे दुुनिया भर में फ्रंेडषिप-डंे के रुप में मनाया जाता है । ,
फं्रेडषिप-डे का इतिहास
फं्रेडषिप डे मनाने की पंरम्परा बहुत पुरानी नही है। सन् 1935 मे अमेरिकी कांग्रेस ने अगस्त के महीने के पहले रविवार के दिन आधिकारिक तैार पर एक छुट्टी दोस्त और दोस्ती के सम्मान मे समर्पित की घोषणा की। तब यह उतना प्रभावी नहीं था। लेकिन आजकल यह फ्रेडषिप डे एक वार्षिक आयेाजन बन गया है। इसके बाद तो यह अवसर की सफलता केवल अमेरिका तक सीमित नही रही बल्कि समय के साथ साथ कई अन्य देष भी इस पंरम्परा को गोद लेना षूरू कर दिए । अधिक से अधिक देषों के समारोह मे षामिल होने के साथ ही फ्रेंडषिप-डे जल्द ही अंतराष्ट्रीय फ्रेंडषिप-डे बन गया । वर्ष के अगस्त महिना के पहले रविवार के दिन बडे़ ही उत्साहपूर्वक कई दंेषो मे फ्रेंडषिप-डे मनाया जाता है।
भारत मे फ्रेंडषिप डे
अमेरिका से निकलकर कई देषेा मे पहुंचने के साथ-साथ फ्रेंडषिप-डे भारत मे भी अपना परचम फहराया। आज के दिन लोग अपने मित्रों के साथ समय बिताने के साथ फूल के गुलदस्ते के अलावा कलाई बैंड उपहार स्वरूप देते है जो आज के दिन का एक पंरपरा बन गई है। फ्र्रे्रंडषिप-डे भारत मेें भी बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ से मनाया जाता है। भारत मे फंे्रडषिप-डे समारोह षहरी वर्ग से निकलकर गांव-गांव में जा पहुंची है। इस दिन करीबी दोस्तों के साथ दिन बिताना घूमना-फिरना साथ रेस्टूरेन्ट जाना, मस्ती करना अच्छा लगता है। तो कार्ड, बैंड उपहार देकर दोस्ती को कभी नही तोडने की कसम भी खाई जाती है। अगर आपके दोस्त बाहर रहते है तो कोइ बात नही आप अपने मोबाइल से एस एम एस कर सकते हैं। आजकल इस दिन पर भी बाजारवाद हावी हो चूका है बडी कंपनीया इसका पूरा फायदा उठाने मे लगी रहती है। जैसे कार्ड मोबाइल कम्पनीया उपहार बेचने वाली दुुकानेा पर अपने अजीज दोस्तों को यादगार गिफ्ट देने के लिए युवाआंे की भीड़ लगी रहती है
दोस्ती क्यो ?
रिष्ते तो बहुत होते है लेकिन सब रिष्तांे से बढकर होती हैै दोस्ती। यह हर रिष्तो से बढ़कर एक पवित्र रिष्ता है । अच्छे दोस्त केवल खुषनसीब लोगो केा ही नसीब होते है, आज भी कई ऐसे लोग है जो दोस्ती की मिसाल बने हुए हैं। उनकी दोस्ती के फसाने दुनिया दोहराती है। दुरियां भी उन्हंे जुदा नही कर पाती है । दोस्ती जिंदादिली का नाम है । यह एक ऐसा रिष्ता है जिसे दिल से जिया जाता है इसमें औपचारिकता अंहकार व प्रदर्षन नही बल्कि सामंजस्य व आपसी समझ काम आती है । दोस्ती का रिष्ता एक खुली किताब होता है, हमारी जिंदगी मे बहुत से ऐसे राज होते हैं जिन्हें हम हर किसी को नही बता सकते। हम उन्हें अपने देास्तेा केा बताते है।ं एक खुली किताब की तरह हम अपनी जिंदगी के सभी पन्ने उसके सामने खोल देते है और दोस्त भी एक मार्गदर्षक बन हमे भटकाव से सही राह की ओर ले जाने की माकूल कोशिश करता है।सामंजस्य, समर्पण, समझ और सहनषीलता एक अच्छे दोस्त की पहचान होती है दोस्ती मे कोई अमीरी-गरीबी या उॅच-नीच जैसी भावना नही होती । इसमेें केवल भावनाएॅ होती है जो दो अंजान लोगो को जोडती है ।कई बार परेषानियेा के समय हमारा अपना पीछे हट जाता है। उस वक्त दोस्त ही होता है जो हमें हिम्मत देकर हमारा साथ निभाता है। वैसे कहने वाले ने कहा भी है कि बूरे वक्त में ही सच्चे दोस्त की पहचान होती है। हमाारा अच्छा दोस्त हमारी जिंदगी बदल सकता है । वह हमको बुराइयेंा के कीचड से निकालकर अच्छाइयो की ओर ले जाता है । हमेषा हमारे हित के बारे मे सेाचता है । सच्चा दोस्त वही है जो हमारी गलतियेां पर पर्दा डालने के बजाय निष्पक्ष रूप से अपना पक्ष प्रस्तुुत करे । हमारी झूठी तारीफ या चापलुसी नही करे बल्कि हमारे बुराइयांे से हमे अवगत कराए । इसलिए सच्चे दोस्त का होना बहुत जरूरी है।
इतिहास भी देता है दोस्ती का गवाही
फ्रेंडषिप-डे पूरी दुनिया भले ही कुछ वर्षों से मना रही हो लेकिन भारतीय संस्कृति में दोस्ती के उदाहरण भगवान और भक्त के बीच के भी है और समान्य लोगो के बीच भी है । दरअसल हमेें दोस्ती मे निहित संस्कारेां की घुट्टी घर से ही मिलती है और संस्कारो से सींची गहरी दोस्ती केा ही हम कृष्ण व सुदामा के बीच के संबधो के रूप मे देखते है जहा दोस्त गरीबी मे लिपटे आत्मसम्मान की रक्षा भी होती है और दोस्त की मजबूरियो के लिए षब्दों की जरूरत भी नही होती । दोस्त की मजबूरियां दोस्त बिना कुछ कहे समझ जाता है।दरअसल दोस्त दो लोग अपनी मर्जी से बनते है सब रिष्ते नातो मे कुछ ना कुछ लिहाज आ जाता है चाहे वह रिष्ता पति-पत्नी का रिष्ता ही क्येंा न हो । लेकिन दोस्ती बेलाग और बंेलौस है । आज भी हमारे समाज मेे बडे बुजुर्गो के कहानियंांे में दो व्यक्तियो के बीच के दोस्ती को देखने का नजरिया भी काफी अलग है दोस्ती को पाक नजरों से देखते हैं और दोस्त के लिए त्याग की भावना । केवल मुस्कुराना ही तो दोस्ती नही होती । खुद केा मिटाना पडता है, दोस्त कहना ही तो दोस्ती नही होती ं। बल्कि एक दूसरे की ीावनाओं की कदर करना ही दोस्ती होती है।
वर्तमान समय में दोस्ती
वर्तमान समय मे दोस्ती के मायने पूरी तरह से बदल गए है । आज के इस रंग बदलती दुनिया मे दोस्ती लफज केवल प्यार षब्दतक ही सीमित रह गया है ।इंटरनेट पर चैैटिंग करते हुए अपने दोस्तो से अपनी ही भाषा मे हाय हलो करते हुए आज का युवा वर्ग अपनी दोस्ती को परवान चढाते है एसएमएस की भाषा मे जकडी दोस्ती मल्टीप्लेक्स मंे फिल्म देखने मोटरसाइकिल पर ष्षहर की सडकेां को नापना हीे आज की दोस्ती की परिभाषा बन गयी है। आज केे समय में दोस्ती मेें निहित सोंधीपन की खुुषबू कही गुम होती नजर आ रही है। आधुनिक जीवनषैली के ताने-बाने मेें दोस्ती स्वार्थ के तराजु में तौलकर देखी जाने लगी है। नफे और नुकसान के अनुसार दोस्ती बनाई या बिगाडी जा रही है । विष्वास, सहारा, सच्चाई, भरोसे के नाजुक बंधन को तोडकर दोस्ती ने विजिटिंग कार्ड के सहारे अपने आप मे बहुत फैलाव कर लिया हैं पर क्या इसे दोस्ती कहेगे ? दोस्ती का मतलब अपने मित्र की अच्छाई व बुराई दोनो को बताना है , पर वर्तमान मे दोस्ती का मतलब केवल मतलब संे होता है । फ्रेेंडषिप डे पर गुलाब के पीले फूल ,कार्ड , इ मेल और एस एमएस करना आधुनिक समाज की आवष्यक बुराइ में ष्षामिल हो गया है पर क्या इससंे दोस्ती गहरी होती है ? इसकी क्या गारंटी है ? दोस्ती , परिस्थितिवष या षर्तो के पैमाने मे बंधकर नही होती है दोस्ती प्रकृति प्रदत व अनमोल तोहफा है जिस पर दो व्यक्तियों के विष्वाास की मुहर अंजाने मंे लगती है और भरोसे का साथ पाकर वह परवान चढती है। दोस्ती धर्म ,जाति, पाति ,अमीरी, गरीबी ,उम्र के आडंबरो केा नही मानती ,बल्कि सुख व दुख मे दोस्त का हाथ दोस्त के कंधे पर मांगती र्ह।ै दोस्ती विपरीत परिस्थितियेां मे मदद के लिए आगे बढने की षर्त रखती है। दोस्ती की परीक्षा काल बहुत छोटा होता है और एक बार में ही होता है। परीक्षा मेें पास हो गए तब औार भी परीक्षाओं के दौर आते रहेंगे , परंतु अगर फेल हो गए तब दोस्ती बडी जालिम होती । वह अकेला छोड़ देती है । दुनिया मे हर चीज की परिभाषा है लेकिन दोस्ती को परिभाषा से सख्त नफरत है। वह बंधनमुक्त होकर उन्मुक्त तरीके से उड़ना चाहती है । उसे षरीर से नही ,मन से लगाव है । मन की भाषा बोलने वाली दोस्ती केा आधुनिक समाज ने बांट जरूर दिया है ,पर दोस्ती बचपन व जवानी के दिनो की यादों संे नही महकते बल्कि दोस्ती तो एक साथ पतंग उडाने , गिल्ली डंडा खेलने व चोरी के अमरूद तोडने के मजे में कहीं छुपकर बैठी होती है। जिसे समय अपनी आग में तपाकर जवां करता है । देास्ती अगर जवां हो जाए , तब बूढी नही होती , बल्कि व्यक्ति के बुढापे में भी यह जवां रहती है ।
जिस तरह पर्व-त्योहार के लिए कोई ना कोई निश्चित समय व दिन निधार्रित किया गया है। जिसका लोगों को उस दिन का इंतजार भी रहता है। ठीक उसी तरह ये फ्रेंडशीप की दुनिया मेें जीने वालों को भी फ्रेंडशाीप-डे का बेसब्री से इंतजार रहता है ।
अमेरिका से निकलकर कई देषेा मे पहुंचने के साथ-साथ फ्रेंडषिप-डे भारत मे भी अपना परचम फहराया। आज के दिन लोग अपने मित्रों के साथ समय बिताने के साथ फूल के गुलदस्ते के अलावा कलाई बैंड उपहार स्वरूप देते है जो आज के दिन का एक पंरपरा बन गई है। फ्र्रे्रंडषिप-डे भारत मेें भी बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ से मनाया जाता है। भारत मे फंे्रडषिप-डे समारोह षहरी वर्ग से निकलकर गांव-गांव में जा पहुंची है। इस दिन करीबी दोस्तों के साथ दिन बिताना घूमना-फिरना साथ रेस्टूरेन्ट जाना, मस्ती करना अच्छा लगता है। तो कार्ड, बैंड उपहार देकर दोस्ती को कभी नही तोडने की कसम भी खाई जाती है। अगर आपके दोस्त बाहर रहते है तो कोइ बात नही आप अपने मोबाइल से एस एम एस कर सकते हैं। आजकल इस दिन पर भी बाजारवाद हावी हो चूका है बडी कंपनीया इसका पूरा फायदा उठाने मे लगी रहती है। जैसे कार्ड मोबाइल कम्पनीया उपहार बेचने वाली दुुकानेा पर अपने अजीज दोस्तों को यादगार गिफ्ट देने के लिए युवाआंे की भीड़ लगी रहती है
दोस्ती क्यो ?
रिष्ते तो बहुत होते है लेकिन सब रिष्तांे से बढकर होती हैै दोस्ती। यह हर रिष्तो से बढ़कर एक पवित्र रिष्ता है । अच्छे दोस्त केवल खुषनसीब लोगो केा ही नसीब होते है, आज भी कई ऐसे लोग है जो दोस्ती की मिसाल बने हुए हैं। उनकी दोस्ती के फसाने दुनिया दोहराती है। दुरियां भी उन्हंे जुदा नही कर पाती है । दोस्ती जिंदादिली का नाम है । यह एक ऐसा रिष्ता है जिसे दिल से जिया जाता है इसमें औपचारिकता अंहकार व प्रदर्षन नही बल्कि सामंजस्य व आपसी समझ काम आती है । दोस्ती का रिष्ता एक खुली किताब होता है, हमारी जिंदगी मे बहुत से ऐसे राज होते हैं जिन्हें हम हर किसी को नही बता सकते। हम उन्हें अपने देास्तेा केा बताते है।ं एक खुली किताब की तरह हम अपनी जिंदगी के सभी पन्ने उसके सामने खोल देते है और दोस्त भी एक मार्गदर्षक बन हमे भटकाव से सही राह की ओर ले जाने की माकूल कोशिश करता है।सामंजस्य, समर्पण, समझ और सहनषीलता एक अच्छे दोस्त की पहचान होती है दोस्ती मे कोई अमीरी-गरीबी या उॅच-नीच जैसी भावना नही होती । इसमेें केवल भावनाएॅ होती है जो दो अंजान लोगो को जोडती है ।कई बार परेषानियेा के समय हमारा अपना पीछे हट जाता है। उस वक्त दोस्त ही होता है जो हमें हिम्मत देकर हमारा साथ निभाता है। वैसे कहने वाले ने कहा भी है कि बूरे वक्त में ही सच्चे दोस्त की पहचान होती है। हमाारा अच्छा दोस्त हमारी जिंदगी बदल सकता है । वह हमको बुराइयेंा के कीचड से निकालकर अच्छाइयो की ओर ले जाता है । हमेषा हमारे हित के बारे मे सेाचता है । सच्चा दोस्त वही है जो हमारी गलतियेां पर पर्दा डालने के बजाय निष्पक्ष रूप से अपना पक्ष प्रस्तुुत करे । हमारी झूठी तारीफ या चापलुसी नही करे बल्कि हमारे बुराइयांे से हमे अवगत कराए । इसलिए सच्चे दोस्त का होना बहुत जरूरी है।
इतिहास भी देता है दोस्ती का गवाही
फ्रेंडषिप-डे पूरी दुनिया भले ही कुछ वर्षों से मना रही हो लेकिन भारतीय संस्कृति में दोस्ती के उदाहरण भगवान और भक्त के बीच के भी है और समान्य लोगो के बीच भी है । दरअसल हमेें दोस्ती मे निहित संस्कारेां की घुट्टी घर से ही मिलती है और संस्कारो से सींची गहरी दोस्ती केा ही हम कृष्ण व सुदामा के बीच के संबधो के रूप मे देखते है जहा दोस्त गरीबी मे लिपटे आत्मसम्मान की रक्षा भी होती है और दोस्त की मजबूरियो के लिए षब्दों की जरूरत भी नही होती । दोस्त की मजबूरियां दोस्त बिना कुछ कहे समझ जाता है।दरअसल दोस्त दो लोग अपनी मर्जी से बनते है सब रिष्ते नातो मे कुछ ना कुछ लिहाज आ जाता है चाहे वह रिष्ता पति-पत्नी का रिष्ता ही क्येंा न हो । लेकिन दोस्ती बेलाग और बंेलौस है । आज भी हमारे समाज मेे बडे बुजुर्गो के कहानियंांे में दो व्यक्तियो के बीच के दोस्ती को देखने का नजरिया भी काफी अलग है दोस्ती को पाक नजरों से देखते हैं और दोस्त के लिए त्याग की भावना । केवल मुस्कुराना ही तो दोस्ती नही होती । खुद केा मिटाना पडता है, दोस्त कहना ही तो दोस्ती नही होती ं। बल्कि एक दूसरे की ीावनाओं की कदर करना ही दोस्ती होती है।
वर्तमान समय में दोस्ती
वर्तमान समय मे दोस्ती के मायने पूरी तरह से बदल गए है । आज के इस रंग बदलती दुनिया मे दोस्ती लफज केवल प्यार षब्दतक ही सीमित रह गया है ।इंटरनेट पर चैैटिंग करते हुए अपने दोस्तो से अपनी ही भाषा मे हाय हलो करते हुए आज का युवा वर्ग अपनी दोस्ती को परवान चढाते है एसएमएस की भाषा मे जकडी दोस्ती मल्टीप्लेक्स मंे फिल्म देखने मोटरसाइकिल पर ष्षहर की सडकेां को नापना हीे आज की दोस्ती की परिभाषा बन गयी है। आज केे समय में दोस्ती मेें निहित सोंधीपन की खुुषबू कही गुम होती नजर आ रही है। आधुनिक जीवनषैली के ताने-बाने मेें दोस्ती स्वार्थ के तराजु में तौलकर देखी जाने लगी है। नफे और नुकसान के अनुसार दोस्ती बनाई या बिगाडी जा रही है । विष्वास, सहारा, सच्चाई, भरोसे के नाजुक बंधन को तोडकर दोस्ती ने विजिटिंग कार्ड के सहारे अपने आप मे बहुत फैलाव कर लिया हैं पर क्या इसे दोस्ती कहेगे ? दोस्ती का मतलब अपने मित्र की अच्छाई व बुराई दोनो को बताना है , पर वर्तमान मे दोस्ती का मतलब केवल मतलब संे होता है । फ्रेेंडषिप डे पर गुलाब के पीले फूल ,कार्ड , इ मेल और एस एमएस करना आधुनिक समाज की आवष्यक बुराइ में ष्षामिल हो गया है पर क्या इससंे दोस्ती गहरी होती है ? इसकी क्या गारंटी है ? दोस्ती , परिस्थितिवष या षर्तो के पैमाने मे बंधकर नही होती है दोस्ती प्रकृति प्रदत व अनमोल तोहफा है जिस पर दो व्यक्तियों के विष्वाास की मुहर अंजाने मंे लगती है और भरोसे का साथ पाकर वह परवान चढती है। दोस्ती धर्म ,जाति, पाति ,अमीरी, गरीबी ,उम्र के आडंबरो केा नही मानती ,बल्कि सुख व दुख मे दोस्त का हाथ दोस्त के कंधे पर मांगती र्ह।ै दोस्ती विपरीत परिस्थितियेां मे मदद के लिए आगे बढने की षर्त रखती है। दोस्ती की परीक्षा काल बहुत छोटा होता है और एक बार में ही होता है। परीक्षा मेें पास हो गए तब औार भी परीक्षाओं के दौर आते रहेंगे , परंतु अगर फेल हो गए तब दोस्ती बडी जालिम होती । वह अकेला छोड़ देती है । दुनिया मे हर चीज की परिभाषा है लेकिन दोस्ती को परिभाषा से सख्त नफरत है। वह बंधनमुक्त होकर उन्मुक्त तरीके से उड़ना चाहती है । उसे षरीर से नही ,मन से लगाव है । मन की भाषा बोलने वाली दोस्ती केा आधुनिक समाज ने बांट जरूर दिया है ,पर दोस्ती बचपन व जवानी के दिनो की यादों संे नही महकते बल्कि दोस्ती तो एक साथ पतंग उडाने , गिल्ली डंडा खेलने व चोरी के अमरूद तोडने के मजे में कहीं छुपकर बैठी होती है। जिसे समय अपनी आग में तपाकर जवां करता है । देास्ती अगर जवां हो जाए , तब बूढी नही होती , बल्कि व्यक्ति के बुढापे में भी यह जवां रहती है ।
जिस तरह पर्व-त्योहार के लिए कोई ना कोई निश्चित समय व दिन निधार्रित किया गया है। जिसका लोगों को उस दिन का इंतजार भी रहता है। ठीक उसी तरह ये फ्रेंडशीप की दुनिया मेें जीने वालों को भी फ्रेंडशाीप-डे का बेसब्री से इंतजार रहता है ।
------NITENDRA DUBEY
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