Saturday, August 15, 2009



सूखे की चपेट मे 15 लाख लोगो की मौतें


मानसून के दगा से देष के सात राज्यों का एक बहूत बडा हिस्सा सूखे की चपेट मेें आ गया है । देष के लगभग 167 जिलो को सूखा ग्रस्त घोषित भले हीं कर दिया गया मगर इस समस्या से निबटना किसी अकाल से कम नहीं है ।
स्ूाखा का कारण वर्षा का कम होना होता है । आपदा विभाग की माने तो औसत से कम बारिष होने पर सूखा क्षेत्र घोषित किया जाता है । बिहार की अगर हम बात करे तो 2009 के अगस्त के महिने तक प्रदेष में औसत 569,93 मिली मीटर बारिष होनी चाहिए थी जबकि इस बार मात्र 325,04 मिली मीटर हृइ है । जिसको लेकर बिहार के 26 जिलो को सूखा घोषित किया गया है
सरकार द्वारा आपात स्थिति तय करना
1 रोपनी के समय वर्षा नही होना या अल्प वर्षा होना
2 मौसम के बीच ही मानसून की समाप्ति
3 चार सप्ताह या अधिक समय तक ड्राई स्पेल
4 जुलाई से सितम्बर के बीच में पानी की कमी , गर्म हवा संे फसल का सूखना
5 रोपनी मेे गिरावट
वर्षा कम होने के कारण रोपनी नही हुई । जहा हुई वहा काफी विलम्ब से दक्षिण पष्चिम मानसून में विलंब , वर्षा में 62 प्रतिषत की गिरावट , जुलाई के अंत में वर्षा मेें 45 प्रतिषत की कमी । यह स्थिति जारी रही तो लगी फसलो के भी सूखने का खतरा
मानसून ने एक बार फिर धोखा दिया । मानसून पर अपनी निर्भरता के कारण किसी अन्य देष की तुलना मेें भारत मंे फसल पैदावार में कमी अथवा सूखे की संभावना हमेषा से बनी रहती है । जिसके कारण सदियांे से भारत में अकाल जैसी स्थिति बनती रही है । भारत में 11 वीं और 17 वीं ष्षताब्दी के बीच 14 बार अकाल पडे़ 1022 -1033 के बीच आये भीषण अकाल की वजह संे जनसंख्या का गणित बिगड़ गया । वहीें 1702 -1704 के दौरान डेक्कन मेे आये अकाल के कारण तकरीबन 20 लाख लोगेा की मौते हुई । ष्षुरूआती दौंर मेें स्थान विषंेष के आधार पर अकाल की स्थिति देखी जाती थी । लेकिन ब्रिटिष हुकूमत के दौरान 1860 के पष्चात देष मंें अनाज की कमी स्पष्ट देखी गयी । 19 वी सदंी के मध्य कई राज्यों जिनमंे तमिलनायडु ,बंगाल , और बिहार प्रमुख मेें 25 बार बडे़ अकाल पडे़ ़नोबेल पुरस्कार विजेता अमत्र्य सेन के अनुसार अकाल की प्रमुख वजह बारिष की अनियमितता थी ।
1770 में बंगाल में आये भीषण अकाल ने करीब एक करोड़ की जान ली थी । जो बंगाल की कुल जनसंख्या की एक तिहाई थी । देष मेेें 1876-1878 में आयंे अकाल में 61 लाख से अधिक लोगेां की जाने गयी । जबकि 1899 -1900 के बीच में आये अकाल में एक करोड लोग मारे गयंे । अकाल की स्थिति स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी बनती रही । 1943 -44 के दौरान बंगाल में आये अकाल में तकरीबन 15 से 30 लाख लोगों की मौत हो गयी , जबकि इसमें किसी फसल पैदावार में कमी की भी खबर नही थी । 1880 मेंे गठित आयेाग ने अपनी रिर्पोट में कहा कि इसके लिए आनाज का वितरण अधिक जिम्मेवार था । इसके बाद 1996 में बिहार में अनाज की कमी देखी गयी इस समय संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से इस अकाल से निपटने के लिए 9 लाख टन अनाज प्रदान किया गया । तीन साल के दौरान भूखमरी और बीमारियेा के कारण तकरीबन 15 लाख लोगो की मौतें हुई

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....