पाया नहीं ठीकाना
ए शहीदों !
लौट आना
भारत को तुम बचाना.
देकर गए
आजाद भारत
सभ्यता-संस्कृति
सौहार्द का सागर,
अफसोस मुझे है
आपसी रंजीश से
मुश्किल हुआ बचाना.
ऐ शहीदों.................
इतिहास मेरी
आंखों को
दे जाते हैं आंसू
खिलते हुए
क्रांतीवीरों ने
मुक्ति-संघर्ष के दौर में
आपसी भाईचारे के बूते
जाति-धर्म से
परे हो,
अंग्रेजों से जेहाद छेड़ा,
वीर सपूतों ने
सहर्ष आहूति दे
छोड़ गए आशियाना.
ए शहीदों..................
कर गए
माताओं की गोद सुनी
सहनशील देवियों को
छोड़ गए
यादों के सहारे,
दिल कांप उठता है,
आजतक असहायों ने
पाया नहीं ठीकाना.
ए शहीदों...................
--मुरली मनोहर श्रीवास्तव
9234929710/ 9430623520
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