जिंदगी की आस
जब एक इंसान गंभीर हालत में हाॅस्पीटल के गेट पर पहुंचता है तो उसके जिंदगी की आस डब्ल हो जाती है। वहां जाने वाला हर पेसेन्ट अच्छे इलाज की कामना करता है पर आज हम आपको एक ऐसे हाॅस्पीटल की स्टोरी दिखाएंगे जहां इलाज के नाम पर अंधविष्वास का नंगा खेल खेला जाता है।
सिवान के सदर हाॅस्पीटल में दर्द से करहाते इस मरीज की लाइफ टोटको पर डिपेंड है। इसे एक जहरीले सांप के जहर ने जख्मी कर दिया है। ये विष इससे इसकी लाइफ छिन ना ले ये सोचकर परिजनों ने इसे हाॅस्पीटल में एडमिट कर दिया। पर आप खुद देख सकते हैं कि इसका ट्रीटमेंट यहां दवाईयों के बजाए झाड़- फूंक से किया जा रहा है
ये सब कुछ हो रहा है यहां के डाॅक्टरों के प्रजेंस में। हाॅस्पीटल के बेड पर पड़ी इस औरत की हालत बिगड़ती जा रही है। पर शायद डाॅक्टरों के आंखों पर बंधी अंधविष्वास की पट्टी अब पेसेन्ट के बाडी के ठंडे होने का वेट कर रही है।
सरकार ने हेल्थ सर्विस को नंबर वन बनाने के हजारो दावे किए। पर ना जाने कब उसकी नजर जीवनदाताओं की इस भारी भूल को देख पाएगी।
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