Sunday, August 30, 2009



बैंक फ्रेंडली


आरबीआई ने पूरे किए 75 साल।और ज़ेहन में आया एक नेक विचार ।कि किया जाए गांवों में बैंकों का प्रचार और इन भोले भाले लोगों को भी बनाया जाए ऐकाउन्ट और बैंक फ्रेंडली।खा़सतौर पे इनको बताया जाए ऐटीऐम कार्ड के बारे में। सो ये अधिकारी चल पड़े सूबे के सबसे गरीब गांव की ओर,बांका बौसी प्रखंड के रतनसार गांव।शुरूआत हुई रंग से सराबोर सांस्कृतिक प्रोग्रामों से।
अब इसमें आपने सोचा होगा कि ई तो एक बढ़िया पहल है।लेकिन तमाम सुविधाओं से महरूम,हालात से लाचार और सरकार की उपेक्षा झेल रहे इन ग्रामीणों को क्या सचमुच ऐटीऐम जैसे हाई फंडे की ज़रूरत है।क्या ये गांव की कच्ची सड़कों पे मीलों नंगे पैर चलकर एटीए से पैसे निकालने जाएंगे।घर में खाना नहीं,जेब में पैसा नहीं,देह पर पूरा कपड़ा नहीं और बगल में एटीएम कार्ड।कुछ अटपटा नहीं लगता। इस पूरे कार्यक्रम के बाद इन ग्रामीणों को समझ में क्या आया ये ज़रा आप भी सुनिये।
अभी तो यहां की जनता लाल और पीला कार्ड ही समझती है क्योंकि ये इनकी लाइफ़ से सीधा सरोकार रखता है।आरबीआई इन्हें अगर ग्रमीण योजनाओं,किसानों के लिए लोन सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताती तो शायद इनके लिए आज के हालात में ज़्यादा साभप्रद होता।अभी तो ज़रूरत है इन्हें भोजन,जल,आवास और शिक्षा जैसी बुनियादी चीज़ों की।कहां हम इन भारी भरकम चीज़ों को इन सादे लोगों पर थोपने चले हैं।

No comments:

Post a Comment

About Me

My photo
HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....