गोपाल सिंह नेपाली
1911 में बिहार के चंपारन जिले के बेतिया नामक स्थान में गोपाल सिंह नेपाली जन्म hua.गोपाल सिंह नेपाली हिंदी के छायावाद कवियों में महत्वपूर्ण थे। वे उस काल के कवियों में से थे जब बड़े बड़े साहित्यकार और कवि फ़िल्मों के लिए काम करते थे। 1944 से 1963 तक मृत्यु पर्यंत वे बंबई में फ़िल्म जगत से जुड़े रहे। उन्होंने एक फ़िल्म का निर्माण भी किया।
वे पत्रकार भी थे और उन्होंने चार हिंदी पत्र-पत्रिकाओं रतलाम टाइम्स, चित्रपट, सुधा और योगी का संपादन किया। फ़िल्मों के लिए लिखे गए उनके कुछ गीत अत्यंत लोकप्रिय हुए। 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय उन्होंने देशभक्ति की अनेक कविताएँ रचीं। कविता के क्षेत्र में गोपाल सिंह नेपाली ने देश प्रेम, प्रकृति प्रेम, तथा मानवीय भावनाओं का सुंदर चित्रण किया है। काव्य संग्रह me उमंग, पंछी, रागिनी तथा नीलिमा, पंचमी, सावन, कल्पना, आंचल, नवीन, रिमझिम और हमारी राष्ट्र वाणी।
1911 में बिहार के चंपारन जिले के बेतिया नामक स्थान में गोपाल सिंह नेपाली जन्म hua.गोपाल सिंह नेपाली हिंदी के छायावाद कवियों में महत्वपूर्ण थे। वे उस काल के कवियों में से थे जब बड़े बड़े साहित्यकार और कवि फ़िल्मों के लिए काम करते थे। 1944 से 1963 तक मृत्यु पर्यंत वे बंबई में फ़िल्म जगत से जुड़े रहे। उन्होंने एक फ़िल्म का निर्माण भी किया।
वे पत्रकार भी थे और उन्होंने चार हिंदी पत्र-पत्रिकाओं रतलाम टाइम्स, चित्रपट, सुधा और योगी का संपादन किया। फ़िल्मों के लिए लिखे गए उनके कुछ गीत अत्यंत लोकप्रिय हुए। 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय उन्होंने देशभक्ति की अनेक कविताएँ रचीं। कविता के क्षेत्र में गोपाल सिंह नेपाली ने देश प्रेम, प्रकृति प्रेम, तथा मानवीय भावनाओं का सुंदर चित्रण किया है। काव्य संग्रह me उमंग, पंछी, रागिनी तथा नीलिमा, पंचमी, सावन, कल्पना, आंचल, नवीन, रिमझिम और हमारी राष्ट्र वाणी।
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