Wednesday, May 13, 2009

कैदी समाज से जुड़ना चाहते हैं

हम होंगे कामयाब एक दिन हमें पूरा है विष्वास ये गीत इन कैदियों पर बिल्कुल सही बैठ रहा है इनके दिलों में जज्बा है कुछ कर दिखाने का जिन हाथों मे कल तक बंदूकें चमकती थीं आाज वही हाथ कला के क्षेत्र में महारत हासिल करने में लगी है ये कोई कहानी नहीं है बल्कि मोतीहारी के ही एक मंडलकारा में रहने वाले कैदीयों की है। मोतीहारी मंडलकारा में जहां के कैदी मंडलकारा के ही प्रषिक्षण केन्द्र में बैठकर सिलाई तो कोई पेंटींग सीखने मे मषगुल हैं और कुछ कैदी मिट्टी को तरास कर बरतन बनाना भी सीख रहे हैं। इनको ये थोड़ा भी मलाल नहीं है कि ये कैदी हैं और हो भी क्यों इनकी तो यही चाह है कि कुछ न कुछ सीख कर अपराधी होने के कलंक को खत्म कर दें। सबसे बड़ी बात तो ये है कि इनको जो प्रषिक्षण दे रहे हैं वो भी कैदी ही हैंजो कई मामलों जैसे दहेज हत्या, डकैती और भी कई मामले हैं जिसके चलते जेल में बंद हैं।सभी कैदीयों का बस यही जवाब है कि अब हमें अपराध छोड़ समाज के मुख्यधारा से जुड़ना है। सारे कैदी इसके लिए अभारी हैं जेल प्रषासन का। वहीं जेल अधिक्षक देवेन्दे कुमार का कहना है कि बंदीयों को ये उपहार जेल आईजी एस षिवषंकर के बहुत प्रयास के बाद मिला है। करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान रसरी आवत जात ते सिल पर परत निषान कहने को तो कैदी हैं मगर इसीलिए तो कैदी का मुहर हटाने के ही लिए ये लोग सिखने को तैयार हुए हैं। इनको पुरा विष्वास है कि ये जब बाहर निकलेंगे तो अपनी नयी जिन्दगी की षुरूआत करेंगे।

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HIMMAT SE KAM LOGE TO ZMANA V SATH DEGA...HO GAYE KAMYAB TO BCHACHA-BCHCHA V NAM LEGA.....MAI EK BAHTE HWA KA JHOKA HU JO BITE PAL YAD DILAUNGA...HMESHA SE CHAHT HAI KI KUCHH NYA KAR GUZRNE KI...MAI DUNIA KI BHID ME KHONA NHI CHAHTA....