एक मतदान केंद्र का इकलौता मतदाता
दर्शनदास गीर के जंगलों में स्थित बानेज मतदान केंद्र पर अकेले मतदाता हैं
भारत में पंद्रहवीं लोकसभा के चुनावों के लिए आठ लाख 28 हज़ार आठ सौ चार मतदान केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन उनमें से एक ऐसा मतदान केंद्र भी है जहाँ मात्र एक मतदाता है.
इस अनूठे मतदान केंद्र के मतदाता से मिलने के लिए बीबीसी न्यूज़ के संवाददाता सौतिक बिस्वास ने जंगल का सफ़र किया और उस अकेले मतदाता से मुलाक़ात की.
ये मतदान केंद्र भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात के गीर के जंगलों में स्थित है. गीर का जगंल एशियाई प्रजाति के शेरों के लिए जाना जाता है.
गीर के जंगल में यह मतदान केंद्र बानेज में स्थित है जो जूनागढ़ लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है. जहां तीसरे चरण में 30 अप्रैल को मतदान होना है.
बानेज के इस अनूठे मतदान केंद्र के एक मात्र मतदाता दर्शनदास हैं, जोकि जंगल में स्थित एक मंदिर की देखरेख करते हैं. मंदिर से कुछ मीटर की दूरी पर वन कार्यालय को मतदान केंद्र बनाया जाएगा.
उनसे मिलकर लगा कि एक निर्जन, अंतहीन जंगल में एक शख़्स अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग करने के लिए उत्सुक है.
मुश्किल सफ़र
दर्शनदासदर्शनदास इस मंदिर के रखवाले हैं
से मुलाक़ात के लिए मुझे धूप के थपेड़ों में पथरीली ज़मीन पर कैक्टस और बोगेनवेलिया के पौधों और पेड़ों के बीच होते हुए नदियों को पार करना पड़ा. इस दौरान मुझे हिरण, बारासिंघे और भैंसों को देखने का मौक़ा मिला.
जब मैं जंगल में से गुज़र रहा था तो तापमान 38 डिग्री सेल्सियस था और मेरी एसयूवी गाड़ी गर्म होती जा रही था. वहाँ से निकलते हुए मैंने कोई शेर नहीं देखे, जबकि 1412 वर्ग किलोमीटवर्ग किलोमीटर पर फैले इस जंगल में क़रीब तीन सौ शेर रहते हैं. शायद कड़ी धूप की वजह से शेर जंगल के और अंदर चले गए होंगे.
जब जंगल पर शाम का साया मंडराने लगा तो मैं मंदिर पहुँचा. लेकिन उस समय दर्शनदास नहीं थे और उनके रसोइए ने कहा कि कुछ समय इंतज़ार करें वो बहुत जल्द आ जाएंगे.
जंगल में समय और क़ीमती हो जाता है, ऐसे में मैं इस सोच में पड़ता जा रहा था कि जब अंधेरा छा जाएगा तो बाहर कैसे निकल सकेंगे.
दर्शनदास की शख़्सियत
तभी दर्शनदास अपनी एसयूवी गाड़ी से मंदिर पहुँचे.
खाकी रंग की खुले गले की कमीज़, सारंग और धूप का चश्मा पहने दर्शनदास बहुत ही सुखी इंसान लग रहे थे. उनकी सफ़ेद दाढ़ी गांठ में बंधी थी, और वह इस तरह के दूरदराज़ के इलाक़े में कुछ असामान्य से लग रहे थे.
उनका कहना था, "आपको इंतज़ार कराने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ. मेरी गाड़ी का एयरकंडीशनर काम नहीं कर रहा था, इसलिए मैं इसे बनवाने गया था."
जंगल में कार में वातानुकूलित और स्टीरियो लगवाना बेमेल अनुभव लग रहा था.
मंदिर में बिजली नहीं है, पर कुछ बल्ब सोलर लाइट के ज़रिए जलाए जा रहे थे, टेलीविज़न और फ़ोन भी नहीं है. दर्शनदास के अनुसार दुनिया से उनका नाता केवल बीबीसी हिंदी रेडियो के ज़रिए होता है.
उन्होंने मुझसे रात को जंगल में ठहरने के लिए कहा, लेकिन मेरे साथ वन विभाग के गार्ड ने कहा है कि यहां सांप और मच्छर हैं. इसलिए मैंने विन्रमता से इनकार कर दिया.
धर्म में दिलचस्पी
पहले यहां 45 लोग रहते थे और बड़ी तादाद में तीर्थयात्री आते थे, लेकिन जगंल के अधिकारियों ने उनका रहना मुश्किल कर दिया तो सभी लोग छोड़ गए, और मैं यहां अकेला बच गया
दर्शनदास
दर्शनदास ने कहा, "मैं 12 साल पहले यहां आया था. जब मैं राजस्थान में एक स्कूल में पढ़ाई कर रहा था, क्योंकि मेरी दिलचस्पी धर्म में थी और मैं यहां पहुँच गया. मंदिर को एक रखवाले की ज़रुरत थी और मैं यहां रुक गया."
उनका कहना था कि शुरूआत में यहां बहुत एकाकीपन था. वो कहते हैं, "पहले यहां 45 लोग रहते थे और बड़ी तादाद में तीर्थयात्री आते थे, लेकिन जगंल के अधिकारियों ने उनका रहना मुश्किल कर दिया तो सभी लोग छोड़ गए, और मैं यहां अकेला बच गया."
दर्शनदास यहाँ अपने रसोइया, सुरक्षा गार्ड और ड्राइवर के साथ रहते हैं लेकिन उन सब का वोट इस इलाक़े में नहीं है.
उनका कहना था कि कोई प्रत्याशी उनसे वोट माँगने के लिए नहीं आता, और कभी कभी वो प्रत्याशी को भी नहीं जानते. वो केवल यह जानते हैं कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच लड़ाई होती है.
उनका कहना था, "दुनिया ने मुझे इस साल जाना है, लेकिन राज्य चुनाव को मिलाकार ये तीसरा चुनाव है, जब मैं अकेला मतदाता हूँ. मुझे मालूम है कि मैं अनूठा हूँ."
वो आगे कहते हैं, "लेकिन मैं वोट दूंगा, क्योंकि मेरा वोट अहम है". भारतीय जनता पार्टी की सरकार के एक वोट से विश्वास मत हार जाने को याद करते हुए वह कहते हैं कि एक वोट भी अहम होता है.
दर्शनदास का कहना था, "निश्चित रुप से यह मेरे लिए सम्मान की बात है, और यह साबित करता है कि भारत लोकतंत्रिक मूल्यों का कितना सम्मान करता है."
जी जानकारी के लिये शुक्रिया
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