आदमी मुसाफिर है ......
( संगीतकार लक्ष्मीकांत की पुण्यतिथि)
संगीत एक शक्ति है, इसी के माध्यम से लोग को अपना दर्द बांटते हैं। संगीत जाति और धर्म से परे होता है। लेकिन संगीत को सजाने और संवारने वाले की बात करें तो भला लक्ष्मीकांत को कैसे भुलाया जा सकता है।
(आदमी मुसाफिर है आता है जाता है........)
लक्ष्मीकांत कांताराम कुदलकर का जन्म 1937 में हुआ था। ये इतने अभागे थे कि 9 वर्ष की अवस्था में हीं पिता का निधन हो गया, जिसके कारण उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी। बचपन के दिनों से लक्ष्मीकांत का रूझान संगीत की ओर था। और वह संगीतकार बनना चाहते थे। संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने उस्ताद हुसैन अली से हासिल की। अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए उन्होंने संगीत समारोहों में भाग लेना शुरु कर दिया। आगे चलकर वाद्य यंत्र मेंडोलियन बजाने की शिक्षा बालमुकुंद इंदौरकर से ली।
(-वो जब याद आए बहुत याद आए........)
बाद के दिनों में लक्ष्मीकांत-प्यारे लाल की जोड़ी के रूप में फिल्म जगत में अपने संगीत का लोहा मनवाकर हीं माने। अपने कैरियर की शुरुआत कल्याण जी आनन्द के बतौर सहायक के तौर पर उन्होंने मदारी, सत्ता बाजार, छलिया और दिल ीाी तेरा हम भी तेरे जैसी कई फिल्मों में काम किया। इसी दरम्यान चार भेजपुरी फिल्मों में संगीत देने का प्रस्ताव दुर्भाग्यवश नहीं मिल पाया। इस जोड़ी पर संगीत का ऐसा जुनुन था कि मशहूर निर्माता-निर्देशक बाबू भाई मिस़्त्री की क्लासिकल फिल्म पारसमणि ने इनकी तकदीर बदल कर रख दी। फिर पीछे मुड़कर देखने का मौका हीं नहीं मिला।
हंसता हुआ नूरानी चेहरा...और वो जब याद आए....जैसी इन मधुर गीतों की तासीर आज भी लोगों के जेहन में बरकरार है।
राॅकेट लांचर चलाएंगे माओवादी
अब माओवादी राॅकेट लांचर से हमला करने की फिराक में जुट गए हैं। इसको लेकर युवा माओवादी सीख रहे हैं राॅकेट लांचर चलाने के गुर। इस तरह का खुलासा आइबी के भेजी गई रिपोर्ट से हुआ है। गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में आइबी के अधिकारियांे ने इसका खुलासा किया।
इरादों को खतरनाक बनाने की मंशा पाल रखे माओवादी नेता युवा माओवादियों के अंदर नफरत का बीज भी बो रहे हैं। इसके लिए बजाप्ता युवाओं को प्रशिक्षित करने में जुटे हुए हैं। आईबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुजफ्फरपुर जिले के मोतीपुर बरजी के कई उन्मादी युवक गया जिले के चउरा इलाके में प्रशिक्षण ले रहे हैं। और इनको प्रशिक्षण देने वाला भूषण हार्डकोर गुरिल्ला दस्ते का स्पेशल एरिया कमांडर के रूप में चिन्हित किया गया है।
हाल के दिनों में माओवादी संगठन की गतिविधियां तेज हो गई है। लोकसभा चुनाव के दौरान अपने खुंखार इरादों से उसने मुजफ्फरपुर के देवरिया के अलावा मोतिहारी के पताही थाना अंर्तगत दो-दो लैंड माइंस का प्रयोग किया गया। इससे पहली बार उत्तर बिहार में लैंड माइंस का प्रयोग किया गया। जिससे पुलिस महकमें में भी भय व्याप्त है।
अमन पसंद लोगों की जिंदगी में खलल डालने की इस नाकामयाब योजना से निबटारा पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में दिख रही है।
33 सौ बसों की खरीद
बिहार में मृतप्राय निगम में नयी जान फंूकने की कवायद हुई तेज। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के लिए तीन हजार से ज्यादा बसें खरीदी जायेंगी। राज्य सरकार ने इसका प्रस्ताव योजना एवं विकास विभाग को भेज दिया है।
बिहार के बंटवारे के बाद बिहार में परिवहन निगम को दिल्ली और दक्षिणी राज्यों के परिवहन निगम की बराबरी में खड़ा करने की योजना पर सरकार गंभीरता पूर्वक विचार कर रही है। पंचवर्षीय योजना के तहत निगम को नयी बसें मुहैया करायी जायेगी। फिलहाल गरमी की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने की तैयारी में परिवहन विभाग और निगम प्रबंधन जुटा है। सुप्रीम कोर्ट से बंटवारे पर अंतिम मुहर लगते हीं निगम को फिर से पांव खड़ा करने की कवायद शुरू हो जाएगी।
इस योजना में विकास विभाग को निगम के लिए 52 सीटवाली 2225 साधारण, 95व डीलक्स, 100 बसों की खरीद का प्रस्ताव भेजा गया है। इन बसों की खरीद पर 528 करोड़ खर्च आने का अनुमान है। जबकि निगम के सभी दफ्तरों को कंप्यूटरीकृत करने का भी लक्ष्य है। जिस पर 2.06 करोड़ रूपये का खर्च आएगा।
बसों का बेड़ा खड़ा करने के साथ हीं पथ परिवहन में जहां सुधार क्रांति आएगी। वहीं इस काम में कितना वक्त लगेगा ये कहना कठिन है।
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