पेट की भूख इंसान को कुछ भी बना देता है वो भी ऐसे लोगों को जो बिल्कुल गरीब और लाचार होते हैं और जिनको सरकारी सुविधा नहीं मिल पाता है जितने भी पिछड़े जाति और आदिवासी बच्चे हैं वो भी जंगलों मे रहने वाले इनलोगों को नक्सली बहला फुसला कर ले जाते हैं और बना देते हैं नक्सली। हम बात कर रहे हैं रोहतास प्रखण्ड की।
आजादी के 60वर्ष बित जाने के बाद भी रोहतास के प्रखण्डों में रहने वाले आदिवासी ,महादलित अनुसुचित जाति और जनजातियों को सरकारी सुविधा नहीं मिल पायी है...जिसके चलते इन क्षेत्रों मे भूखमरी अषिक्षा और बेरोजगारी फैला हुआ है। यही वजह है कि यहां के बस्तियों मे रहने वाले भोले-भाले युवक युवतियों को बहका कर ले जाने में नक्सलियों को सफलता मिलती है। आदिवासी बस्तियों में षिक्षा , स्वास्थ्य, सड़क ,बिजली इन सारी सुविधाओं का घोर अभाव है सरकार अपनी ओर से इन बच्चों के पढ़ाई के लिए हर माह लाख रूपये खर्च करती है लेकिन सरकारी षिक्षक षिक्षा पदाधिकारियों से मिल का अपने बांट लेते हैं दर्जनों सरकारी स्कूल हैं मगर न यहां कोई पढ़ने जाता और नाही काई पढ़ाने सारे बच्चे अपने माता पिता के साथ काम करते हैं या फिर पेट का आग बुझाने के लिए षिकार करते हैं। ऐसे में नक्सलियो को मिल जाता है मौका और मार लेते हैं बाजी तरह-तरह का प्रलोभन देकर आसानी से अपनी ओर मिलाने में सफल हो जाते हैं बच्चों को।सरकारी उपेक्षा के षिकार ये बच्चे नक्सलीयों के साथ जाने को विवष हैं अगर यही रवैया रहा तो नक्सलियों द्वारा विकास को मुद्दा बनाकर पूरे क्षेत्र को अपने चपेट में ले लिया जाएगा।
No comments:
Post a Comment