गार्जियन विहिन आयोग
सूचना हासिल करना आम जनों का अधिकार है। लेकिन जिस ताकत को जहां आम जनों कि ताकत के रुप में देखा जा रहा है। वह सूचना आयोग हीं आज बिन माथे कि फौज हो गया है। ( बिना गार्जियन के चल रहा है राज्य सूचना आयोग )
ये है सूचना आयोग का कार्यालय सात महिना से मुख्य सूचना आयुक्त का पद खाली है। जिसके चलते राज्य सूचना आयोग में वादों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। लेकिन इस पर सरकार का कौनों ध्यान नहीं है। जबकि इस आयोग में सूचना आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त के पदों को भरने की जिम्मेदारी राज्य सरकार को है। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत ईहां पर भी राज्य सूचना आयोग का गठन किया गया। जिसमें एक मुख्य सूचना आयुक्त तथा चार राज्य सूचना आयुक्त का पद होता है। लेकिन इसमे से दो पद अभी भी खाली है।
सूचना आयोग में सूचना के अधिकार के लागू होने के बाद अक्टूबर 2006 से लेकर मार्च 2009 तक कुल 17 हजार से ज्यादा सूचना आयोग में दायर किए गए। लेकिन उसमें से साढ़े 9 हजार वादों का हीं निपटारा हो पाया है। शुरुआत में सूचना वादों का निष्पादन बहुत तेजी से हुआ। लेकिन जैसे-जैसे वादों की संख्या बढ़ती गई, इसके निपटारे का काम भी स्लो होता गया। आयोग में पदाधिकारियों और कर्मचारियों की कमी को नहीं भर पाने से ई समस्या बढ़ती जाहनंतकपंद अपीपद रही है। आमजनों के हाथों में दिए गए सूचना के अधिकार के इस अचूक हथियार से लोगों में आशा कि किरण जगी थी। लेकिन 2 अक्टूबर 2008 को बिहार सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल समाप्त होने के बादो। सरकार के तरफ से कोई इस पर बहाल नहीं किया गया। जिससे सूचना आयोग दिनोंदिन बोझिल होता जा रहा है।-----मुरली मनोहर श्रीवास्तव
No comments:
Post a Comment