अस्तित्व खोते मंदिर
सरकार भले हीं...बड़े-बड़े वादे करती हो...अपनी धरोहरों को बचाने की...उसकी देखरेख करने की....पर आज वो सारे दावे इस समय टांय-टांय फिस साबित हो रहे हैं....जिन मंदिर-मस्जिदों में चुनाव जीतने की मन्नत मांगते हैं राजनेता......चुनाव जीतने के बाद उन स्थापत्य कला की धरोहरों पर नजर-ए-इनायत करना मुनासिब नहीं समझते....जिससे उनकी स्थिति बद से बद्तर होती जा रही है।
खंड़हर समझने की भूल मत कीजिएगा...काहे की ई है...रोहतास जिले का कैमूर पहाड़ी....जहां घने जंगलों में स्थित है हजारांे वर्ष पुराना गणेश मंदिर....जिसमें से गणेश की प्रतिमा तो वर्षों पहले गायब हो गई थी...लेकिन मंदिर में लोगों की आस्था अब भी बनी हुई है.....लगभग 20 फीट उंचे इस मंदिर को बड़े-बड़े पत्थरों से बनाया गया था.....लेकिन रखरखाव के अभाव में जर्जर हो गयी है.....अब इस मंदिर के पत्थर खिसकने लगे हैं......ऐसे में मंदिर का अस्तित्व हीं समाप्त होता नजर आ रहा है....
कहा जाता है...कि रोहतास किला के पूर्वी घाट पर स्थित गणेश मंदिर का निर्माण....राजा हरिशचन्द्र के पुत्र -रोहिताश्व ने करवाया था....जिसे मुगलकाल में इस प्रदेश के सुबेदार-राजा मानसिंह ने इस मंदिर की मरम्मत कराई थी...फिर क्या था....जिसने भी इसे देखा वो इसकी बनावट और प्राचीनता का कायल हीं हो गया....जिसकी गवाही दे रहा है इतिहास का वो पल....जिसने इसे स्थापत्य कला का अद्भुत नजारा देखा था...और अंग्रेज इतिहासकार फ्रेमसीज बुकानन को इसका कायल बना दिया था...
गणेश मंदिर को किसने बनवाया ये तो इतिहास के गर्भ में छुपा हुआ है....लेकिन आज रखरखाव के अभाव में जर्जर और अपना अस्तित्व खोते इस मंदिर को आज जरुरत है....अपने रख रखाव की......देखना ई है कि....कला और संस्कृति के इस धरोहर को बचाने के लिए सरकार कौन सा कदम उठाती है...ई तो आने वाला समए बताएगा।
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