अदालत ने किया कुत्ते को बरी....
कुत्ते...तो आपने जरुर हीं देखें होंगे....जी हां...वही चैपाया जानवर जो लावारिश के रुप में रोड पर....और पालतू के रुप में हमारे घरों के स्टेटस और खुबसुरती को जार चांद लगाते....लेकिन आज हम आपको दिखने जा रहे हैं....एक स्पेशल कुत्ते की कहानी....बना दिया है....
पूर्णिया के अनुमंडल दण्डाधिकारी के न्यायालय में घूम रहे कौनो पालतू कुत्ता नहीं हैं...बल्कि....ई स्पेशल कुत्ता है...जिसे न सिर्फ पागल करार दिया गया है...बल्कि मामला भी दर्ज..... है.....अब जरा गौर फरमाइए कि आखिर ऐसी ....क्या बात हुई जिसने कुत्ते को न र्सिफ पागल करार दिया...बल्कि...मामला भी दर्ज कर दिया...
दरअसल हुआ यूं कि....पूणियां निवासी राजकुमारी देवी के कुत्ते को उनके पड़ोसी ने पागल करार दे कर सीधे...... कोर्ट में हीं मामला दर्ज करवा दिया....अरे भई उसने उन्हें काटा जो था.....और उनका आरोप था कि काटने से उनकी जान भी तो जा सकती थी..... ...अब आप हीं कहिए....सांप अगर फुंफकारे नहीं, कुत्ता अगर काटे नहीं....फिर तो चाल,प्रकृति, बेमाय, तीनों साथ हीं जाय वाली कहावत....हीं पूरी तरह से गलत साबित हो जाएगी....
इतना हीं नहीं....ये मामला तब और दिलचस्प हो गया....जब मामला दर्ज होने के बाद तत्कालीन एस.डी.ओ. ने कुत्ते को फांसी की सजा देने देने का आदेश दिया....लेकिन सामाजिक संगठनों एवं मेनका गांधी के हस्तक्षेप के बाद....कुत्ते की फांसी की सजा को रद्द कर दिया गया....इतने के बावजूदो मामला यहां खत्म नहीं हुआ...बल्कि किसी फिल्मी पटकथा की तरह आगे बढ़ी....और एक बार फिर उस कुत्ते पर 107 के तहत मामला दर्ज कराया गया......तो कहिए...क्यों है न कहानी पूरी फिल्मी....
कहानी....भले हीं पूरी फिल्मी लगती हो पर....सच्चाई तो यही है कि भारत जैसे देश में जहां...न्याय और न्यायिक व्यवस्था को जितना सम्मान दिया जाता है....वैसे में इस तरह के केसों का मामला और सुनवाई दोनों हीं नयायालयों के सम्मान को ठेस पहुंचाना तो है हीं.....साथे-साथ उन लोगों की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ भी है....जो सालों साल...जेल में बैठे अपनी बारी....के आने की प्रतीक्षा करते रहते है.....
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